Jagannath Rath Yatra 2025: ओडिशा के पुरी में आज भक्ति की बयार बह रही है। हर तरफ श्रद्धालुओं का जमावाड़ा नजर आ रहा है। सभी के मुख पर भगवान जनन्नाथ का गुणगान और आंखों में उनके दर्शन करने का इंतजार दिख रहा है। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आज शुभारंभ होने जा रहा है। यह आयोजन 12 दिन तक चलेगा।
पुरी भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप को समर्पित है। यहां भगवान जनन्नाथ को उनके बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ पूजा जाता है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पीछे एक पौराणिक कहानी है। जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों है इतनी खास, आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक बातें।
क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा?
हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं, इसे ही जगन्नाथ रथ यात्रा कहा जाता है। इसके लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं। इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के रथ की आभा देखते ही बनती है।
रथों की कैसे की जाती है पहचान?
रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के रथों की पहचान उनके रंग व ऊंचाई से की जाती है। बलराम जी के रथ को तालध्वज कहते हैं। यह लाल और हरे रंग का होता है। वहीं देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन या पद्म रथ के नाम से पुकारा जाता है। यह काला या नीला और लाल रंग का होता है। वहीं भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघष या गरुड़ध्वज कहते हैं। यह लाल और पीले रंग का होता है।