बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के ‘पोहा’ पर दिये बयान के बाद सियासी घमासान मच गया। विजयवर्गीय विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए। उधर, नाश्ते की प्लेट से निकल पोहा ट्विटर पर ट्रेंड भी करने लगा। दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले सप्ताह कहा था कि वे उनके यहां काम करने वाले मजदूरों को देखकर समझ गए कि वे बांग्लादेशी हैं, क्योंकि वे सिर्फ और सिर्फ पोहा ही खा रहे थे। हालांकि विजयवर्गीय जब यह बयान दे रहे थे, तब वे भूल गए कि पोहा तो खुद उनके गृह राज्य का एक सिग्नेचर डिश है। देश-दुनिया में इंदौरी पोहे की अपनी अलग ठसक और पहचान है। खट्टे-मीठे इंदौरी पोहे के साथ जलेबी मिल जाए तो इसका स्वाद और बढ़ जाता है।
देश के तमाम राज्यों में पोहा अलग-अलग तरह से बनाया और खाया जाता है। इंदौरी पोहे में चिवड़ा के साथ-साथ बारीक कटी प्याज, हरी मिर्च, सरसो के दाने, अनारदाना, हरी धनिया के साथ जीरावन मसाले का इस्तेमाल किया जाता है, जो इसके टेस्ट को और लाजवाब बना देता है। इसके अलावा गार्निश के लिए मूंगफली, नारियल और करी पत्ता का इस्तेमाल भी किया जाता है। महाराष्ट्र में पोहे में जो प्याज इस्तेमाल की जाती है, वह हल्की भुनी होती है। महाराष्ट्र और गुजरात के बटाटा पोहा का टेक्सचर करीब-करीब एक जैसा होता।
ओडिशा में पोहा अपनी खुशबू के लिए मशहूर अचारमती चावल से बनाया जाता है। ओडिया पोहा में गाजर, अदरक और दूसरी सब्जियों का इस्तेमाल भी किया जाता है। पश्चिम बंगाल में तो पोहा, जिसे चिरेर पुलाव भी कहकते हैं, में किशमिश और दूसरे ड्राईफ्रूट भी मिलाए जाते हैं। उधर, गोवा में पोहा को दूध और शक्कर में पकाया जाता है। इसे दूदांचे फोव कहते हैं। बिहार के चूड़ा-दही की अपनी अलग पहचान है, जो सदाबहार स्नैक्स माना जाता है। उत्तर प्रदेश, झारखंड और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भी दही-चिवड़ा बड़े चाव से खाया जाता है।
आखिर कहां से आया पोहा?: इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक भारतीय खानपान के विशेषज्ञ केटी आचार्य ने अपनी किताब ‘द इल्यूस्ट्रेटेड फूड्स ऑफ इंडिया’ में लिखते हैं कि संस्कृत में भी पोहे का जिक्र मिलता है। संस्कृत में पोहा का नाम चिपिटा या चिड़वा है। इसे चिवड़ा या चेवड़ा भी कहते हैं। चिवड़ा तैयार करने के लिए पहले कच्चे चावल को उबाल लेते हैं। फिर इसको थोड़ा सुखाने के बाद छिलका उतार लेते हैं, ध्यान रहे कि कच्चे चावल में इतनी नमी बची रही ताकि इसे आकार दिया जा सके।