Milkha Singh: 18 जून, 2021 को चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में मशहूर फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का निधन हो गया। 91 साल के इस एथलीट का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था। बता दें कि घर के रसोइए के कोरोना संक्रमित होने के बाद मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह को सांस लेने में परेशानी होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले रविवार को उनकी पत्नी व पूर्व में भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकीं निर्मल मिल्खा सिंह का देहांत हो गया था। आईसीयू में होने के कारण मिल्खा सिंह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे।
कोरोना नेगेटिव होने के बावजूद जटिलताओं के वजह से मिल्खा सिंह की स्वास्थ्य खराब होती गई और शुक्रवार रात को उन्होंने आखिरी सांस ली। बता दें कि भारत को विश्व स्तर पर पहला स्वर्ण पदक मिल्खा सिंह ने ही दिलाया था। इसके बाद उनके कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने देश में एक दिन की छुट्टी घोषित कर दी थी। जानिये पूरा वाकया –
कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों की है बात: बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों में अपने प्रतिद्वंदी (तब के विश्व रिकॉर्ड धारक) मैल्कम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में हराकर पूरे विश्व में अपनी धाक जमाई थी। इसके मुताबिक दौड़ से एक रात पहले वो सो नहीं पाए थे। फाइनल मैच से पहले के समय को याद करते हुए मिल्खा सिंह ने बताया था कि उन्होंने अपने बैग में जूते, छोटा तौलिया, कंघा और कुछ ग्लूकोज के पैकेट रखने के बाद आंखें बंद करके गुरु नानक देव, गुरु गोविंद सिंह और भगवान शिव को याद किया।
कोच ने कहा ‘कुछ बन जाओगे या बर्बाद हो जाओगे’: उस दिन के बारे में जिक्र करते हुए मिल्खा ने बताया था कि उन्हें नर्वस देखकर उनके कोच हावर्ड उनके पास आकर बैठे। फिर कहा कि ‘आज की इस दौड़ से या तुम कुछ बन जाओगे या फिर बर्बाद हो जाओगे। तुम में काबिलियत है इसलिए अगर तुम मेरी बात को मानोगे तो माल्कम को हरा पाओगे।’
मिल्खा सिंह ने अपनी दौड़ को याद करते हुए बताया था कि वो इस तरह भाग रहे थे जैसे कि ततैयों का झुंड उनके पीछे पड़ा हो। अंत तक पहुंचने पर उन्होंने देखा कि स्पेंस उनसे महज आधे फीट पीछे रह गए थे। लेकिन भाग्य मिल्खा के साथ था और उन्होंने अकल्पनीय उपलब्धि को हासिल कर लिया।
गले लग गई थीं विजयलक्ष्मी पंडित: इस रिपोर्ट के अनुसार जब इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ ने मिल्खा सिंह को स्वर्ण पदक से नवाजा तो खुशी से दौड़ती हुई विजयलक्ष्मी पंडित (तत्कालीन ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त) ने उन्हें गले लगाकर मुबारकबाद दी। उन्होंने मिल्खा सिंह से कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पुछवाया है कि इतना बड़ा कारनामा करने के बाद उन्हें ईनाम में क्या चाहिए।
मिल्खा सिंह ने बताया था कि इस सवाल का कुछ भी जवाब उन्हें समझ नहीं आया और अचानक ही उन्होंने कहा कि इस जीत की खुशी में देश भर में एक दिन की छुट्टी दी जाए। बताया जाता है कि जिस दिन वो भारत पहुंचे वादा अनुसार पंडित नेहरू ने भारत में छुट्टी घोषित की।