जनरेशन ज़ेड (Gen Z) में चीजों को देखने और समझने का तरीका तेजी से बदल रहा है। खासकर प्यार और डेटिंग का तरीका पूरी तरह बदल गया है। इस जनरेशन के लोग डेटिंग के लिए कई अलग-अलग टर्म्स का इस्तेमाल करते हैं, जिनका मतलब समझना फिर मेनिएल्स या बाकी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। अब, एक ऐसी ही टर्म इन दिनों ट्रेंड में बनी हुई है, जिसे ‘फ्लड लाइटिंग’ (Floodlighting) कहा जा रहा है। आइए जानते हैं इसका मतलब-
क्या होती है फ्लड लाइटिंग?
बता दें कि फ्लड लाइटिंग एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो शुरुआती रिलेशनशिप में देखने को मिलता है। इसमें शख्स अपने पार्टनर से अटेंशन और सहानुभूति पाने के लिए चीजें ओवरशेयर करने लगता है। आसान भाषा में समझें तो व्यक्ति अपने रिश्ते की शुरुआत में ही सहानुभूति पाने के लिए विक्टिम कार्ड प्ले करता है, झूठे किस्से सुनाने लगता है, एक ही बार में बहुत निजी जानकारी, बचपन का कोई ट्रॉमा या पिछले रिश्ते का सदमा शेयर करने लगता है।
क्यों करते हैं लोग ऐसा?
मामले को लेकर इंडियन एक्सप्रेस संग हुई खास बातचीत के दौरान आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की एमपॉवर-हेल्पलाइन की वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक रीमा भांडेकर ने बताया, कुछ लोग सोचते हैं कि अपनी गहरी बातें जल्दी शेयर करने से रिश्ता मजबूत हो जाएगा। ऐसे में वे पहली डेट पर ही फ्लड लाइटिंग करने लगते हैं। इसे ट्रॉमा डंपिंग भी कहा जाता है।
वहीं, कई बार लोग दूसरों से भावनात्मक सहारा पाने के लिए ऐसा करते हैं या कुछ लोग अपने बारे में ज्यादा बताकर यह कन्फर्म करना चाहते हैं कि उनका पार्टनर उन्हें जज तो नहीं करेगा।
कितना सही है ऐसा करना?
रीमा भांडेकर के मुताबिक, Floodlighting हमेशा बुरा नहीं होता है लेकिन अगर शुरुआती डेटिंग में ही कोई आप पर अपने इमोशन्स का बोझ डालने लगे, तो यह रेड फ्लैग हो सकता है, उभरते रिश्ते पर इसका हानिकारक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है। इससे सामने वाला व्यक्ति दबाव महसूस कर सकता है और रिश्ता असंतुलित हो सकता है।
कैसे समझें कि आपके पार्टनर में यह आदत है?
- अगर पहली कुछ डेट्स में ही सामने वाला शख्स अपने सारे इमोशनल ट्रॉमा या मुश्किलें शेयर करने लगे।
- बातचीत में सिर्फ उनके ही संघर्ष और समस्याओं की चर्चा हो।
- वे आपसे तुरंत गहरी भावनात्मक प्रतिक्रिया या कमिटमेंट की उम्मीद करने लगें।
- आप रिलेशनशिप में खुद को भावनात्मक रूप से थका हुआ महसूस करने लगें।
अगर आपका पार्टनर ऐसा करता है तो क्या करें?
- उनके साथ सहानुभूति रखें, लेकिन अपनी सीमाएं तय करें।
- धीरे-धीरे जान-पहचान बढ़ने दें, तुरंत गहरे इमोशनल डिस्कशन में न पड़ें।
- अगर यह आदत जरूरत से ज्यादा हो रही है, तो इस पर ईमानदारी से बातचीत करें।
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