Dhunuchi Naach: दुर्गा पूजा है और हर कोई हर्षोल्लास से इस त्योहार को मना रहा है। पूरा भारत इसे अपने-अपने तरीके से मना रहा है लेकिन बंगाली समाज इसे बेहद खास तरीके से मनाता आया है। बंगालियों के लिए ये त्योहार मां के आगमन का त्योहार है जब बेटी अपने घर आती है। खान-पान, घूमना-फिरना और खूब रंग, कला और नाच के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। ऐसे में एक डांस है धुनुची डांस (Dhunuchi Naach) जो कि दुर्गा मां को समर्पित है। ये असल में कल्चरल आर्ट है जिसमें देवी की जीत मनाई जाती है और उनकी शक्ति और भव्यता को और बढ़ाने की कोशिश की जाती है। तो आइए, जानते हैं इस पूरे आर्ट फॉर्म के बारे में विस्तार से।
क्या होता है धुनुची-What is Dhunuchi in Dhunuchi Naach?
धुनाची एक बंगाली धूपदानी (धूप जलाने वाला बर्तन) है जिसका उपयोग आरती के दौरान किया जाता है। इसका प्रयोग अक्सर प्रदीप के साथ आरती के बाद किया जाता है। धुनो (Dhunu) शब्द का अर्थ धुआं से भी जुड़ा हुआ है। इसे तैयार करने के लिए नारियल का छिलका, कपूर, लोबान, चंदन पाउडर, जड़ी-बूटियों और अन्य सुगंधित सामग्रियों जैसे प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे जलाकर धुआं किया जाता है और फिर देवी की पारंपरिक आरती होती है।

धुनुची डांस क्या है-What is Dhunuchi Naach
धुनुची डांस में लोग धुनुची को पकड़कर, ढाक की धुन पर नाचते हैं। वास्तव में ये डांस देवी दुर्गा को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने स्वयं अपने भीतर ऊर्जा प्रवाहित करने के लिए धुनुची के साथ नृत्य किया था। मां राक्षसों के बीच उन्हें मारते हुए यु्द्ध भूमि में विकराल और शक्तिशाली रूप धारण किए हुए नृत्य कर रही थीं। इसी कारण आज भी महानवमी की शाम को धुनुची नृत्य का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा धुनुची नृत्य का अर्थ है स्वयं को देवी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित कर देना और इसलिए महानवमी पर लोग इसे जरूर करते हैं।
साथ ही माना जाता है कि धुनो के अपने कुछ फायदे (benefits of dhuno) हैं। यह मन से नकारात्मकता को दूर करता है और आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। जलता हुआ लोबान अच्छा और आरामदायक महसूस कराता है। यह घर में शांति, सद्भाव और सौभाग्य लाता है। इससे बुरी और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। इसलिए भी नवरात्रि के अंत के साथ मां दुर्गा की इस प्रकार से आरती की जाती है।