एलजीबीटी (LGBT) के बारे में आज के समय में हर कोई जानता है। समलैंगिकों के समुदाय को आम बोलचाल की भाषा में एलजीबीटी (LGBTQ) कहते हैं। यहां L का मतलब लेस्बियन (Lesbian), G का मतलब गे (Gay), B का मतलब बाईसेक्सुअल (Bisexual) और T का मतलब ट्रांसजेंडर (Transgender) से है। वहीं, कई और दूसरे वर्गों को जोड़कर इसे क्वियर (Queer) समुदाय का नाम दिया गया है।
हालांकि, इन सब से अलग क्या आप ‘एब्रोसेक्सुअल’ (Abrosexual) के बारे में जानते हैं? इन दिनों सोशल मीडिया पर ये शब्द खूब ट्रेंड कर रहा है, साथ ही कई लोग इसे खुलकर अपना भी रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग इस टर्म को लेकर कंफ्यूज भी हैं। इसी कड़ी में यहां हम आपको ‘एब्रोसेक्सुअलिटी’ या ‘एब्रोसेक्सुअल’ लोगों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं-
क्या है एब्रोसेक्सुअलिटी? (What is Abrosexuality)
एब्रोसेक्सुअलिटी एक तरह की नई पहचान है। आसान भाषा में समझें तो एब्रोसेक्सुअल एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी सेक्सुअलिटी समय के साथ बदलती रहती है। यानी ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में एक समय पर एक लिंग के प्रति और फिर अगले पल किसी दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित महसूस कर सकता है। वहीं, सेक्सुअल अट्रैक्शन का ये लेवल भी अलग-अलग हो सकता है।
एब्रोसेक्सुअलिटी, पॉलीसेक्सुअलिटी और पैनसेक्सुअलिटी में क्या है अंतर?
सोशल मीडिया पर इस टर्म के वायरल होने के बाद कई लोग एब्रोसेक्सुअलिटी, पॉलीसेक्सुअलिटी और पैनसेक्सुअलिटी में अंतर को लेकर भी कंफ्यूज हैं। जबकि ये तीनों ही स्थिति एक दूसरे से काफी अलग हैं। जैसे-
एब्रोसेक्सुअलिटी
एब्रोसेक्सुअल व्यक्ति कुछ समय के लिए किसी पुरुष के प्रति आकर्षित हो सकता है, तो अलग पल किसी महिला के प्रति। यानी एक समय के लिए व्यक्ति खुद को गे तो दूसरे पल लेस्बियन महसूस कर सकता है। हालांकि, आमतौर पर एक समय पर केवल एक ही एहसास होता है। साथ ही एब्रोसेक्सुअलिटी इस बात पर भी निर्भर नहीं करती है कि कोई व्यक्ति एक लिंग के प्रति कितने समय तक आकर्षित रहता है।
पैनसेक्सुअलिटी
पैनसेक्सुअलिटी को सभी लिंगों के लोगों के प्रति यौन, रोमांटिक या भावनात्मक रूप से आकर्षण के तौर पर पहचाना जा सकता है।
पॉलीसेक्सुअलिटी
पॉलीसेक्सुअल व्यक्ति को बहुलैंगिक व्यक्ति भी कहा जाता है। इस तरह का व्यक्ति कई लिंगों के प्रति आकर्षित हो सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि सभी लिंगों के प्रति।
डिस्क्लेमर: यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये तीनों ही स्थिति सम्मानित हैं और इन्हें समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है।