वजन न बढ़ना एक आम शारीरिक समस्या है। कम खाना खाने या फिर पोषक तत्वों की कमी की वजह से शरीर के दुबलेपन की शिकायत देखने को मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार जिन लोगों में वात की समस्या होती है उनके खान-पान में अक्सर अनियमितता पाई जाती है, जिसकी वजह से वे अक्सर बीमार रहते हैं। भूख न लगना ऐसे लोगों की प्रमुख समस्या होती है, जिससे शरीर में कम कैलोरी पहुंचती है और वजन में कमी की समस्या अस्तित्व में आती है। ऐसे में कई तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां प्रकृति में मौजूद हैं जो कि भूख बढ़ाकर वजन बढ़ाने में हमारी मदद करती हैं।
आयुर्वेदिक औषधियों की सबसे खास बात यह होती है कि उनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, इसलिए ये अन्य दवाओं के मुकाबले काफी सुरक्षित और प्रभावी माने जाते हैं। हर तरह की बीमारी के प्राकृतिक ईलाज के लिए सदियों से आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता रहा है। वजन बढ़ाने के लिए किरात, कैमोमाइल, अदरक और अश्वगंधा जैसी कई जड़ी-बूटियां प्रयोग में लाई जा सकती हैं। अदरक आसानी से मिलने वाली औषधि है जिसका प्रयोग पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिए किया जाता है। सूखे अदरक को गुड के साथ मिलाकर खाने से ठंड और पेट में दर्द जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। अदरक खाने से रक्त संचार भी बढता है।
इसके अलावा अदरक का प्रयोग अपच और मितली में किया जाता है। इसके सेवन से भूख न लगने की समस्या दूर होती है जो वजन बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। सत्वारी कल्प नाम की औषधि मोटापा बढ़ाने के लिए काफी लाभदायक जड़ी है। इसके सेवन से प्रजनन करने वाले अंग और मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। साथ ही साथ सत्वारी कल्प आंखों की रोशनी भी बढाता है। किरात खाने में थोड़ी कड़वी होती है। इसका सेवन करने से भूख बढती है। इसके अलावा पेट की समस्या जैसे – अपच या अन्य विकार इससे समाप्त होते हैं।
कैमोमाइल का सेवन खाने को अच्छी तरह से पचाने के लिए किया जाता है। अश्वगंधा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। इसे खाने से भूख बढती है और पाचन क्रिया अच्छी होती है। इसके अलावा यष्टिमधु खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं। फलों के अभाव के चलते शरीर में होने वाले पोषक तत्वों की कमी को यष्टिमधु पूरा करता है। च्यवनप्राश और वसंत कुसुमाकर रस भी पाचन सही करने और वजन बढ़ाने में काम आता है।