उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूबे का प्रतापगढ़ जिला और खासकर कुंडा, राजा भैया के चलते अक्सर चर्चा में रहता है। भदरी रियासत से ताल्लुक रखने वाले राजा भैया का नाम अक्सर विवादों से जुड़ता रहा है।
ऐसा ही एक विवाद कुंडा के सीओ रहे जिया-उल-हक़ की हत्या से जुड़ा है। डीएसपी हक की पत्नी परवीन आज़ाद ने राजा भैया पर अपने पति की हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया था। हालांकि सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में राजा भैया को क्लीन चिट दे दी गई थी।
मेरी कुंडली में ही दोष है…: जियाउल मामले के बाद बीबीसी के संवाददाता रहे राम दत्त त्रिपाठी ने एक इंटरव्यू में राजा भैया से उनकी छवि और अक्सर विवादों में पड़ने को लेकर विस्तार से बात की थी। तब राजा भैया ने कहा था कि मैंने निर्दोष होते हुए भी सरकार से इस्तीफा दे दिया था, ताकि सरकार पर आंच न आए। शायद मेरी जन्म कुंडली में ही कुछ ऐसा है, जिसकी वजह से मैं कई बार अकारण भी विवादों में आ जाता हूं।
राजा भैया के इर्द-गिर्द घूमती है प्रतापगढ़ की राजनीति: राजा भैया ने साल 1993 में कुंडा से चुनाव जीता था। वह इसी सीट से लगातार सात बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। इसके बाद उन्होंने 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 का चुनाव भी इसी सीट से जीता था।
साल 2012 में उनके हलफनामे पर विवाद उठा था जब राजा भैया ने अपनी उम्र का जिक्र किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि साल 2012 में उनकी उम्र 38 थी। इस हिसाब से जब वह पहली बार कुंडा से विधायक चुने गए थे, उस समय उनकी उम्र महज 19 साल रही होगी।
‘समान विचारधारा वालों से गठबंधन का रास्ता खुला है’: राजा भैया हाल ही में अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। यहां उन्होंने साफ कर दिया था कि उनके साथ समान विचारधारा वाले लोगों का स्वागत है। यहां उनसे गठबंधन को लेकर पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हम इशारा नहीं समझ पा रहे हैं, लेकिन हमारे साथ तो सभी आ सकते हैं।