UPSC एग्जाम में कामयाबी हासिल करने का सपना हर कैंडिडेट का होता है, लेकिन कई बार पूरी मेहनत करने के बाद भी इस एग्जाम में सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसे में इस एग्जाम की तैयारी कर रहे कैंडिडेट निराश हो जाते हैं। कई बार निराशा इस कदर बढ़ जाती है कि लोग उम्मीद तक ही छोड़ देते हैं। ऐसे सभी कैंडिडेट्स को आज हम IAS अधिकारी सोनल गोयल की कहानी बताएंगे।
मैगज़ीन पढ़कर लिया था IAS का फैसला: सोनल ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने संघर्ष के दिनों को याद किया था। उन्होंने बताया था कि पहले उन्हें सिविल सर्विस के बारे में पता तक नहीं था, लेकिन एक मैगजीन में सिविल सर्वेंट पर एक आर्टिकल लिखा था। यही पढ़कर उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का फैसला किया था। इससे पहले वो CS कर रही थीं, लेकिन आईएएस बनकर वह समाज का भला करना चाहती थीं।
सोनल गोयल ने इंटरव्यू में बताया था, ‘जब मैंने ग्रेजुएशन के दौरान IAS अधिकारी बनने का फैसला किया तो परिवार को भी इस बारे में बताया। मेरे पिता नहीं चाहते थे कि मैं UPSC की तैयारी करूं क्योंकि वो जानते थे कि ये सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक हैं। लेकिन वो जानते थे कि मैं पढ़ाई में बहुत होशियार हूं। इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि अगर तुम UPSC एग्जाम देना चाहती हो तो दे लो, लेकिन इसके साथ अपना दूसरा प्लान भी तैयार रखना। मैंने CS करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में LLB में दाखिला ले लिया और साथ में UPSC की तैयारी भी शुरू कर दी।’
2007 में क्लियर किया था एग्जाम: सोनल आगे बताती हैं, ‘नौकरी और वकालत की पढ़ाई के साथ ही मैंने साल 2006 में पहली बार यूपीएससी एग्जाम दिया, लेकिन उसमें मेरा इंटरव्यू राउंड में चयन नहीं हुआ। इसके बाद मैंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी। साल 2007 में दूसरे प्रयास में मुझे सफलता हासिल हुई और मेरी AIR 13 रैंक आई थी। त्रिपुरा जब मैं गई तो चौंक गई क्योंकि वहां का खाना बिल्कुल अलग था। क्योंकि मैं सकारात्मकता से ही सबकुछ निपटा।’ साल 2016 में सोनल ने हरियाणा कैडर जॉइन किया और तमाम बड़े विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
