UPSC को लेकर कई तरह के मिथक हैं। इस एग्जाम की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स कोचिंग और दिल्ली मूव करने तक को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं। लक्ष्य सिंघल के साथ भी ऐसा ही था जब लोग उन्हें यूपीएससी की तैयारी के दौरान अलग-अलग सलाह देते थे। लेकिन लक्ष्य सिंघल ने इन सब सलाहों को मानने की जगह अपने ऊपर विश्वास रखा और तैयारी में लगे रहे। आज भले ही लक्ष्य IAS अधिकारी बन गए हैं, लेकिन कभी उनके घरवालों को भी उनके ऊपर विश्वास नहीं था।

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दिल्ली के रहने वाले लक्ष्य सिंघल पढ़ाई में कोई खास नहीं थे। यही वजह थी उनके घरवाले को भी उनके ऊपर विश्वास नहीं था। लेकिन हाईस्कूल में अच्छे नंबर आने के बाद घरवालों ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने की अनुमति दे दी। 12वीं की पढ़ाई के बाद लक्ष्य ने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। लक्ष्य ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है, लेकिन वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग करना चाहते थे। पिता की सलाह मानते हुए उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया।

इंजनीयरिंग की पढ़ाई तो लक्ष्य सिंघल शुरू कर चुके थे, लेकिन उनके मन में तो कुछ और ही चल रहा था। वह तो असल में आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। इंजीनियरिंग के दौरान ही उनका रुझान यूपीएससी की तरफ हुआ। उन्होंने इस एग्जाम से संबंधित जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं। उन्होंने इसके लिए एक कोचिंग भी जॉइन कर ली थी। इधर इंजीनियरिंग खत्म की और उधर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

2018 में मिली सफलता: लक्ष्य को ये अच्छी तरह पता था कि इस एग्जाम को क्लियर करना आसान नहीं है। इसलिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। उन्होंने पहला प्रयास दिया और पहली ही बार में इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए। इससे उन्हें बहुत उम्मीद थी, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नंबर नहीं आ पाया। वह निराश नहीं हुए और उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी, आखिरकार वो मौका आ ही गया जब उनका सपना पूरा हुआ। UPSC CSE-2018 के एग्जाम में उन्हें 38 रैंक मिली थी।

लक्ष्य को UT कैडर मिला था और अभी वह लेह में सेवाएं दे रहे हैं। लक्ष्य से जब उनकी कामयाबी के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘UPSC ऐसा एग्जाम जिसकी कोई गारंटी नहीं होती है, इसलिए हमेशा दूसरा ऑप्शन तैयार रखना चाहिए। दूसरा अपनी क्षमता के अनुसार की तैयारी करना भी बहुत जरूरी है। हमें दूसरे के स्टाइल को कॉपी करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे फायदा हो या न हो, लेकिन नुकसान के चांस भी बहुत ज्यादा रहते हैं।’