टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई (सुहास लालिनाकेरे यथिराज) को देशभर से बधाई मिल रही है। हालांकि सुहास का सफर इतना आसान नहीं था। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। उनका सफर प्रेरणादायक है। सुहास एलवाई की पत्नी ऋतु सुहास भी प्रशासनिक अफसर हैं। वो फिलहाल गाज़ियाबाद में ADM प्रशासन के पद पर सेवाएं दे रही हैं।

ऋतु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने पति का गेम नहीं देखती हैं क्योंकि उन्हें काफी डर और घबराहट महसूस होती है। सुहास की तारीफ करते हुए ऋतु ने कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा गेम खेला और इससे परिवार, देश का नाम रौशन हुआ है। बता दें कि ऋतु ने साल 2003 में पीसीएस एग्जाम क्वालिफाई किया था। उन्होंने बताया था कि शुरुआत में उनकी अंग्रेजी काफी कमजोर थी और पीसीएस का इंटरव्यू क्लियर करने के लिए वह शीशे के सामने खड़ी होकर प्रैक्टिस करती थीं।

कौन हैं सुहास एलवाई? सुहास एलवाई उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।उनका परिवार मूल रूप से कर्नाटक के शिमोगा का रहने वाला है। सुहास को जन्म से पैर में परेशानी थी, लेकिन ये परेशानी उनका हौसला कभी कम नहीं कर पाई। वह पढ़ाई में काफी होशियार थे और खेलने में भी अव्वल। यही वजह थी कि वो खेल के साथ-साथ आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते थे।

बैडमिंटन से पहले वह क्रिकेट खेला करते थे। शुरुआती पढ़ाई के बाद सुहास ने इंजनीनियरिंग करने का फैसला किया। इंजीनियरिंग खत्म करने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2007 में आखिरकार उनका सपना पूरा हो गया और वह आईएएस बनने में कामयाब भी हो गए थे। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर दिया गया था। कोरोना के समय में यूपी सरकार ने उन्हें नोएडा का जिलाधिकारी बनाया था।

पिता की मौत से टूट गए थे: सुहास एलवाई और उनके परिवार के लिए तमाम मुश्किल वक्त भी आए। ऐसा ही वक्त साल 2005 में तब आया जब उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया था। सुहास उस दौरान इंजीनियरिंग कर रहे थे और यूपीएससी की तैयारी में भी जुटे हुए थे। पिता के निधन से सुहास बुरी तरह टूट गए थे, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा और तैयारी में जुटे रहे। अब सुहास ने जीत का पूरा श्रेय अपने पिता को दिया है।

बैडमिंटन की तरफ झुकाव: सुहास के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ आया उनकी आजमगढ़ में नियुक्ति के दौरान। उन्हें आजमगढ़ का जिलाधिकारी बनाया गया तो वो यहां एक बैडमिंटन टूर्नामेंट का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बैडमिंटन खेलने की इजाजत मांगी और कई खिलाड़ियों को मात दी। यहीं से उनके अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने की शुरुआत हुई और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।