कॉलेज में छात्र तब तक पीते रहते हैं जब तक कि उन्हें यह नहीं लगता कि अब ज्यादा हो गया है। इसके बाद वो शराब पीने की मात्रा को कम कर देते हैं। शोध के अनुसार युवा लोग कार कि तरह अपने पीने की आदत को नियंत्रित करते हैं। जैसे आप कार को चलाते समय इस बात का निर्णय लेते हैं कि एक्सीलरेट करते रहेंगे या ब्रेक दबाएंगे। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के केविन पासिनो ने कहा कि छात्र शराब पीने के बाद ठीक उसी तरह अपना निर्णय लेते हैं जो फॉर्मूला इंजिनियरिंग में अपनाया जाता है। ये एक कार के क्रूज कंट्रोल की तरह है। इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि एक निश्चित प्वाइंट से कोई चीज कितनी दूर तक जाती है। शोध के अनुसार शराब पीने के एक लेवल तक पहुंचने के बाद युवा पूरी रात गैर-शराब से संबंधी ड्रिंक्स पीते हैं ताकि वो ड्रंकनेस के लेवल को बरकरार रख सकें।

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ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन क्लाप ने कहा कि हम उन बिंदुओं पर काम कर रहे हैं जिनसे यह पता चल सके कि कि किस तरह कोई शख्स पीने के बाद निर्णय लेता है। इसके साथ ही कौन सी परिस्थियां उसके परेशानियां खड़ी करने वाले व्यवहार को जन्म देती हैं, हम इन बातों को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के सामाजिक कार्यकर्ता और इंजिनियर ने मिलकर मैथ्स के मॉडल के जरिए उन कारणों को जानने की कोशिश की जिनके जरिए कोई शराब पीने की तरफ जाता है।

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शोधकर्ताओं ने इसके लिए 1500 छात्रों के सांस और खून की जांच की मदद ली। शाम की शुरुआत में शोधकर्ताओं ने पहले छात्रों से पूछा कि वो कितनी मात्रा में शारब पीते हैं। उसके बाद उनके बताए लेवल को सांस और खून जांच के द्वारा जांचा। डेटा में पाया गया कि जो छात्र कम पीते हैं उनके पीने की आदत नियंत्रण में रहती है। उन्होंने 0.05 प्रतिशत का बीएसी लेवल बनाए रखा। वहीं जो कहते हैं कि मैंने बहुत ज्यादा पी ली है उनमें 0.1 लेवल का बीएसी पाया गया। यह सभी परिणाम आईईईई ट्रांसेक्शन्स ऑन साइबरनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है।

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