पीरियड्स के दौरान कुछ महिलाओं को कष्टदायक दर्द से गुजरना पड़ता है। इस असहनीय दर्द के कारण पेट पर सूजन, चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी, सिरदर्द और भारीपन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह दर्द केवल पेट और कमर में ही नहीं बल्कि पूरे बदन में होता है। पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए अक्सर महिलाएं दवाइयों का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, पीरियड्स में दवाइया लेना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
ऐसे में आप इस असहनीय दर्द से छुटकारा पाने के लिए योग का सहारा ले सकती हैं। नियमित तौर पर योग करने से ना सिर्फ आपका शरीर मजबूत बनेगा, बल्कि, शरीर में खून का संचार भी अच्छी तरह से होने लगेगा। पीरियड्स के दर्द में छुटकारा दिलाएं ये आयुर्वेदिक उपाय
-धनुरासन: इस योगासन को करने से पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही यह पीरियड्स के दौरान होने वाले पीठदर्द, कब्ज और पेट की सूजन में आराम दिलाता है। इस आसन में यूं तो पूरा शरीर स्ट्रेच होता है। लेकिन पेट, जांघ, गला और सीना खासतौर पर स्ट्रेच होता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं, पिर घुटनों तक अपनी टांगों को मोड़ दें।
इसके बाद अपने दोनों हाथों से टखनों को पकड़ लें। अब सांस भरते हुए अपनी गर्दन को ऊपर की ओर उठाइये। इस योगासन में शरीर धनुष की स्थिति में आ जाता है। करीब 20 सेकेंड के लिए इसी अवस्था में रहें। इस योगासन को सुबह खाली पेट करना चाहिए।
-मत्स्यासन: इस आसन में आपके शरीर का आकार मछली की तरह लगता है। इस आसन को करने से गर्दन, पैर, पीठ और छाती की मांसपेशियां स्ट्रेच हो जाती हैं। इस आसन को करने के लिए जमीन पर दोनों पैरों को मोड़ कर बैठ जाएं। इसके बाद पीछे की ओर झुकें और लेट जाएं। फिर अपने पैरों के दोनों अंगूठों को अपने हाथों से पकड़े और पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इस आसन का रोजाना पांच मिनट अभ्यास करना चाहिए।
-पासासन: यह आसन ना सिर्फ पीरियड्स में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाता है। बल्कि, कंधे में दर्द, साइटिका और गर्दन के दर्द से भी छुटकारा दिलाने में कारगर है। इस आसन को करने के लिए पैरों पर सारा वजन डालकर बैठ जाएं। फिर पैरों के तलवों को जमीन पर सीधे रखें। इसके बाद शरीर के ऊपरी भाग को दाहिनी तरफ मोड़ते हुए घुटनों तक लाने की कोशिश करें। फिर दाहिने हाथ को ऊपर की तरफ उठाएं और बाएं पैर को सामने की ओर ही रखें। अब बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाते हुए पीठ के पीछे से ले जाकर दाहिने हाथ को पकड़े। गहरी सांस लेते हुए इस आसन को चार से पांच बार करना चाहिए।