गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को शुरुआती तीन महीनों में सबसे ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होती है। क्योंकि, शुरू के तीन महीनों में गर्भपात का खतरा सबसे ज्यादा होता है। मां बनना हर महिला को संपूर्ण नारी होने का अहसास कराता है। ऐसे में प्रेग्नेंट होने से लेकर डिलीवरी होने तक उन्हें बेहद ही सावधानी बरतनी पड़ती है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान कुछ ऐसे इंफेक्शन हैं, जिन्हें होने का खतरा अधिक होता है।

कुछ मामलों में तो यह संक्रमण मां और बच्चे दोनों की जान के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। इनके कारण गर्भपात, प्रीटर्म लेबर या फिर बच्चे में विकार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बता दें, यह संक्रमण प्लेसेंटा के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु तक भी पहुंच सकते हैं। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इन इंफेक्शन से बचने की जरूरत होती है।

-साइटोमेगालोवायरस संक्रमण: प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला यह आम संक्रमण है। इस इंफेक्शन का सबसे ज्यादा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसके कारण शिशु की रेटिना में सूजन, सिर छोटा होना, त्वचा का पीला पड़ना, कमजोर बच्चे पैदा होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

इस संक्रमण के कारण कुछ बच्चे को नसों से संबंधित परेशानी भी हो जाती है। इस संक्रमण से बचने से लिए गर्भवती महिलाओं को बार-बार हाथ धोना चाहिए और साथ ही छोटे बच्चों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

-रूबेला वायरस: रूबेला वायरस होने का सबसे ज्यादा खतरा गर्भावस्था की पहली तिमाही में होता है। इसके कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी और गर्भपात होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। कभी-कभी तो डिलीवरी के वक्त शिशु की मौत भी हो जाती है। इस वायरस के कारण नाक, आंख और दिल में विकार समेत सिर का छोटा होना, ऑटिज्म, माइक्रोसेफली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

ऐसे में महिलाओं को गर्भवती होने से पहले रूबेला वायरस की वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

-जीका वायरस: यह इंफेक्शन मच्छरों की वजह से होता है। बता दें, एडीज मच्छर से जीका वायरस फैलता है। यह मच्छर दिन के समय लोगों को काटता है। यूं तो जीका वायरस के मामले बेहद ही कम होते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस संक्रमण से बेहद ही सावधान रहना चाहिए।