15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो उस वक्त देश 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था। इन रियासतों के राजा, महाराजा, नवाब और निजाम के पास अकूत दौलत थी। साथ ही ये अपने अजीबो-गरीब शौक के लिए भी मशहूर थे। किसी को एक से बढ़कर एक चमचमाती रॉल्स रॉयस का शौक था तो किसी के अस्तबल में सैकड़ों घोड़े बंधे थे। बड़ौदा के महाराजा इन्हीं में से एक थे।
अपनी शानो-शौकत के लिए मशहूर महाराजा सोने के तार से बुनी खास पोशाक पहना करते थे। इस पोशाक को तैयार करने की अनुमति पूरे रियासत में सिर्फ एक परिवार को थी। चर्चित इतिहासकार डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ में लिखते हैं कि उस परिवार के हर सदस्य के नाखून इतने बढ़ा दिए जाते थे कि उनमें कंघी की तरह खांचा काटा जा सके। इन्हीं नाखूनों से वे सोने के तार तैयार करते थे और फिर इससे पोशाक बनाते थे।
बड़ौदा के महाराजा उस वक्त दुनिया के सातवें सबसे बड़े हीरे ‘सितार-ए-दक्खन’ के मालिक भी थे। साथ ही उनके पास वो हीरा भी था जिसे कभी फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय ने अपनी प्रेमिका यूजीन को दिया था। महाराजा के भंडार में मोतियों से तैयार एक से बढ़कर एक पर्दे भी थे, जो खास मौके पर महल की शोभा बढ़ाते थे। (पढ़ें- ग्वालियर के महाराजा ने किया था 1400 से ज्यादा शेरों का शिकार, भरतपुर के महाराजा ने भी बना दिया था अनूठा रिकॉर्ड- किताब में दर्ज हैं कहानियां)
कम नहीं कपूरथला रियासत का रुतबा: कपूरथला के महाराजा अपनी पगड़ी के लिए मशहूर थे। उनकी पगड़ी पर उस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा पुखराज लगा था और इसके इर्द-गिर्द 3000 के करीब हीरे-मोती जड़े थे। डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि उनकी पगड़ी पर लगा पुखराज दूर से देखने पर ऐसा लगता था जैसे किसी जानवर की आंख चमक रही हो। (पढ़ें- अंग्रेज अफसर को सलामी से इस कदर चिढ़ गए थे बड़ौदा के महाराजा, अपने लिए बनवा ली थीं सोने की तोपें)
साल में एक बार पहनते थे खास कवच: पटियाला के सिख महाराजा भी अकूत दौलत के मालिक थे। उनके खजाने का सबसे अनमोल रत्न मोतियों का एक हार था। इसका बीमा इंग्लैंड के मशहूर लॉयड्स बैंक ने 10 लाख डॉलर का किया था। महाराजा के पास आसमानी रंग के 1001 हीरों से जड़ा सीने पर पहनने वाला एक खास कवच था, जिसे वे साल में एक बार पहन कर अपनी प्रजा के सामने आते थे।