बारिश के मौसम में मधुमेह रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, लिहाजा यह मौसम उनके लिए मुश्किल भरा साबित हो सकता है। मानसून के मौसम में उमस, पसीना और नमी से फंगस व अन्य सूक्ष्म जीव पैदा होते हैं, ऐसे में मधुमेह रोगियों को अपने पैरों का खास ख्याल रखना चाहिए।
मानसून में पैरों में फंगस का संक्रमण हो सकता है और अगर यह ठीक न हुआ तो गैंगरीन बन सकता है, जिसमें पैर काटने तक की नौबत आ जाती है। हालांकि उचित आहार और सावधानी से इससे बचा जा सकता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि मधुमेह के रोगी बारिश में खास एहतियात बरत कर खुद को संक्रमण से बचा सकते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, देश में 6.2 करोड़ लोग मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं। मधुमेह रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि इस मामले में लोग अभी उतने जागरूक नहीं हैं। मधुमेह पीड़ितों को इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और व्यक्तिगत स्वच्छता व खान-पान का खास ख्याल रखना चाहिए। मधुमेह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है, इसलिए जरूरी है कि मानसून में इससे जुड़ी किसी भी तरह की तकलीफ पर नजर रखी जाए। साउथ एशियन फेडरेशन आॅफ एंडोक्राइन सोसायटीज के उपाध्यक्ष डॉ संजय कालरा का कहना है कि मानसून के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने से मधुमेह रोगियों को अक्सर सांस संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं।

बारिश में भीगने पर उन्हें पूरे शरीर में खुजली भी महसूस हो सकती है। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को बाहर का भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि दूषित भोजन और पानी से फूड पॉइजनिंग, डायरिया और कालरा हो सकता है। इंसुलिन का स्तर संतुलित रखने के लिए उचित भोजन उचित समय पर खाना आवश्यक है। मानसून में आंखों का संक्रमण भी हो जाता है। मधुमेह रोगी अपनी आंखें भी चेक कराते रहें ताकि कोई परेशानी होने से पहले ही इलाज करा सकें।

डॉ कालरा ने आगे बताया कि वैसे तो डायबिटीज सभी अंगों पर असर डालती है, लेकिन पैरों पर इसका प्रकोप कुछ ज्यादा होता है। ऐसे में पैरों को स्वच्छ रखना जरूरी है। गीले और अस्वच्छ पैर जीवाणुओं और फंगस को न्योता दे सकते हैं। अगर इस मौसम में पैरों में संक्रमण हो गया हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, वरना खतरा बढ़ सकता है।