भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने न केवल ज्ञान की बातें बताई हैं, बल्कि जीवन जीने की कलाओं के बारे में भी बताया है। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, वे आज के आधुनिक और तनावपूर्ण जीवन में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

गीता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश कर्मयोग है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को फल की चिंता किए बिना अपने कर्म करते रहना चाहिए। वहीं, आज के समय में लोग सफलता, धन और मान-सम्मान को लेकर काफी परेशान रहते हैं। ऐसे में गीता हमें यह सिखाती है कि बिना परिणाम की चिंता किए बगैर हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए।

गीता का एक और बड़ा संदेश मन पर नियंत्रण करना है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और शत्रु उसका मन ही होता है। अगर मन पर नियंत्रण हो तो इंसान गलत निर्णय ले लेता है। गीता ध्यान, संयम और आत्मचिंतन के जरिए मन को शांत रखने की सीख देती है।

दूसरों के कार्यों की तुलना अपने से नहीं करना चाहिए। मनुष्य को इसके बजाय अपने धर्म का पालन करना चाहिए।

अहंकार से मुक्ति पाकर व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।

वस्तुओं के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है।

श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।