आधुनिकता ने हमारा रहन-सहन बिल्कुल बदल दिया है। दिन-ब-दिन लाइफस्टाइल को लेकर कुछ न कुछ नया आता रहता है। इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से जितना संभव हो पाता है, रहन-सहन बदल लेता है। पैसे और रुतबे के हिसाब से घर बनवा लेता है, गाड़ी रख लेता, दफ्तर भी वैसा ही सजाता है, लेकिन एक समस्या इंडिया में बड़ी कॉमन है। आज भी ऐसे लोग हैं जो घर तो आलीशान बनवाते हैं, लेकिन बाथरूम बनवाने में कंजूसी कर लेते हैं। कुछ लोग बाथरूम की लागत में पूरा घर बनवा लेते हैं। मध्यमवर्गीय परिवारों में छत के लिए जाने वाली सीढ़ियों के नीचे वाली जगह में टॉयलेट होना बड़ा आम है। शायद इसके पीछे की मानसिकता यही है कि बाथरूम में लोग ज्यादा वक्त नहीं बिताते हैं। चटपट फारिग हुए और बाहर आ गए। ग्रामीण इलाकों में तो अब भी बिना छत और दरवाजों वाले बाथरूम देखने को मिल जाते हैं। दरवाजों की जगह इनमें टाट का परदा टंगा होता है। कुछ लोग इमरजेंसी में बाथरूम का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए शौच आदि क्रिया के लिए खेतों से अच्छी जगह कोई है ही नहीं।

लोगों को इस विषय पर जागरूक करने के लिए सरकार वर्षों से अभियान तक चला रही है। फिल्म भी आ चुकी है। लेकिन असर उतनी तेजी से होता नहीं दिखाई दे रहा है। वहीं, दुनिया में ऐसे लोग भी है जो बाथरूम को बस नहाने-धोने की ही जगह नहीं मानते हैं, उनके लिए यह क्रिएटिव आइडिया सोचने वाला रूम होता है। वे मानते हैं कि बाथरूम रिलेक्स करने का सबसे बड़ा रूम होता है, इसलिए वे इसे अपने ड्राइंग या बेडरूम से कम तवज्जों नहीं देते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे ही बाथरूम्स की तस्वीरें आपका ध्यान खींच लेंगी।

इन तस्वीरों को देखकर हो सकता है कि आपका मन बदल जाए और अगर घर बनावाने की सोच रहे हैं तो बाथरूम को भी उतनी ही अहमियत दें। लेकिन एक समस्या है, आजकल डिजायनर बाथरूम को बनाने वाले लोग शहरों में तो मिल जाते हैं, गांवों के लिए राह थोड़ी कठिन हैं, इसलिए आपको खुद इस बारे में रिसर्च करनी होगी।