नेटफ्लिक्स रियलिटी शो ‘फैबुलस लाइव्स वर्सेस बॉलीवुड वाइव्स’ फेम शालिनी पासी (Shalini Passi) अब सोशल मीडिया सेंसेशन बन चुकी हैं। वह आए दिन अपनी लाइफस्टाइल और खासकर अपनी ब्यूटी रूटीन को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं। हालांकि, वह एक बार फिर से चर्चा में आ गई हैं। इस बार उन्होंने अपने बचपन की एक सीक्रेट को शेयर किया है।

शालिनी पासी ने स्कूल के दिनों को किया याद

दरअसल, शालिनी पासी ने अपने स्कूल के दिनों को याद किया।  उन्होंने यह भी बताया कि जब वह स्कूल में पढ़ाई करती थीं तो नंबर मांगने वाले लड़कों को किस तरह डील करती थीं। शालिनी पासी ने लड़कों से बातचीत के संबंध में भी उस वाक्या को साझा किया, जिसमें उन्हें पेरेंट्स के सख्त नियमों का सामना करना पड़ा।

लड़कों को नंबर शेयर करने पर क्या कहा?

शालिनी पासी ने हॉटरफ्लाई को हाल ही में दिए अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उनकी मां ने एक बार कहा कि अगर कोई लड़का तुम्हें कॉल करता है तो मैं तुम्हें बोर्डिंग हाउस भेज दूंगी। उन्होंने आगे बताया कि ऐसे में मैं लड़कों से कहा करती थी कि अगर तुम चाहते हो कि मैं बोर्डिंग हाउस जाऊं तो तुम मुझे फोन कर सकते हो। उन्होंने आगे बताया कि जब मैं अपना नंबर किसी को शेयर करती थी, जिसमें एक नंबर मिसिंग होता था।

दरअसल, शालिनी पासी अकेले नहीं है, जिन्हें माता-पिता के कठोर नियमों का सामना किया हो। वैसे भी भारत में खास कर लड़कियों को कई बार माता-पिता के कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। हालांकि, माता-पिता अपने बच्चों के हित में यह सब करते हैं, लेकिन इसका कई बार निगेटिव प्रभाव पड़ता है, जिससे बच्चे अपने पेरेंट्स से खुल कर बात नहीं कर पाते हैं।

सख्त पेरेंटिंग का बच्चों पर क्या होता है असर?

मनोवैज्ञानिक अंजलि गुरसहानी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सख्त पेरेंटिंग का बच्चों पर काफी नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि हर समय बच्चों की आलोचना करने से आत्म-सम्मान में कमी आती है। कई बार लगातार आलोचना के कारण बच्चे सही से निर्णय नहीं ले पाते हैं।

बच्चों के प्रति माता-पिता का कैसा हो व्यवहार?

  • अंजलि गुरसहानी के मुताबिक, माता-पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार गैर-आलोचनात्मक होना चाहिए। माता-पिता को बच्चों को एक-एक बात को सही से सुनना चाहिए।
  • माता-पिता को बच्चों में अधिक दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए। बच्चों के प्रति पेरेंट्स को हमेशा जिज्ञासु बने रहना चाहिए। इससे बच्चा खुल कर पेरेंट्स से बात कर पाते हैं।