Republic Day 2020 Speech, Essay, Nibandh, Bhashan, Slogan, Quotes: 26 जनवरी 1950 को देश ने अपना संविधान अपनाया था। 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूचियों में ये सिखाया और निर्देशित किया गया था कि अगर किसी को भारत में रहना है तो कैसे रहना है। किन नियमों और शर्तों का पालन करना है। उन्हें क्या अधिकार दिए गए हैं और क्या कर्तव्य सुझाए गए हैं। हालांकि इतने सालों में संविधान में 104 तरह के संशोधन हुए जिसने हमारे वर्तमान के साथ भविष्य को भी मजबूत किया। आइए संविधान की 70वीं वर्षगांठ या 71वें गणतंत्र दिवस पर जानें इसकी खूबियां।
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कैसे तैयार हुआ था संविधान… (Indian constitution)
>> 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था देश का संविधान
>> 2 भाषाओं: हिंदी और इंग्लिश में वास्तविक संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था।
>> असली संविधान हस्तलिखित और कैलीग्राफ्ड किया गया था। इसमें 6 महीने का वक्त लगा था। ये न तो टाइपिंग है न ही टेलीप्रिंटिंग।
>> संविधान में शुरुआत में 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। इसके बाद कुल 104 संशोधन हुए।
>> 284 सदस्यीय टीम ने अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान को तैयार किया था। इसमें से 15 महिला सदस्य भी थीं।
इस साल हम हमारा 71वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं। इस अवसर पर कई स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थलों में भाषण या निबंध प्रतियोगिता भी हो रही है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को भारत में गणतंत्रत दिवस और संविधान का इतिहास पता हो। इन जानकारियों से आप गणतंत्र दिवस पर निबंध या स्पीच तैयार कर सकते हैं…


26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था जिसके बाद से हर साल इस दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। एक तरफ जहां संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखने का काम किया है प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने तो वहीं इसके हर पन्ने को चित्रों से आचार्य नंदलाल बोस ने सजाया है। इसके अलावा इसके प्रस्तावना पेज को सजाने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया है। वह नंदलाल बोस के ही छात्र थे।
दुनिया भर के तमाम संविधानों की बारीकी को अच्छी तरह समझने के बाद बाबासाहब ने भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया था जिसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के सामने पेश किया गया। संविधान सभा ने कुछ बेहतरी के साथ संविधान को अपनाया। यही वजह है कि देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में प्राप्त संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा था। इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे।
आजादी के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था जिसे ड्राफ्टिंग कमेटी के नाम से जाना गया। 28 अगस्त 1947 की मीटिंग में भारत के स्थायी संविधान का प्रारुप तैयार करने की जिम्मेदारी ड्राफ्टिंग कमेटी को दी गई। 4 नवंबर 1947 को डॉ बी.आर.अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के मसौदे को सदन में रखा गया। संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा जिसे आखिरकार 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में पूरे देश में काफी जोश और सम्मान के साथ मनाया जाता है। 1950 में इसी दिन भारत गणतंत्र बना था और देश का संविधान पारित हुआ था। इस वजह से 26 जनवरी को हमारे देश के आत्मगौरव व सम्मान के साथ भी जोड़ा जाता है। वहीं, लोग भी इस दिन बेहद गौरवांवित महसूस करते हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस पर भी लोग देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत रहते हैं।
26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू किया गया था जिसकी बदौलत हमारा देश एक गणतंत्र देश बना। तब से आज तक हम इसे याद करने के लिए 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। गणतंत्र का अर्थ है लोगों का और उनके हित में किया गया शासन। संविधान में एक आम व्यक्ति को कई प्रकार की शक्तियां प्राप्त हैं जिसका इस्तेमाल लोग समय-समय पर करते हैं। इस वजह से गणतंत्र को प्रजातंत्र या जनतंत्र भी कहते हैं।
राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में हर बाद विदेश से मुख्य अतिथि आते हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो इस 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आए हैं। गणतंत्र दिवस समारोह को राजपथ पर मनाने की परंपरा 1955 में हुई थी। उससे पहले ये समारोह इर्विन स्टेडियम में मनाया जाता था। इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो इर्विन स्टेडियम में आने वाले पहले मुख्य अतिथि थे।
देश में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 1950 में इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इसे हम सभी राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते है और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। 26 जनवरी के अलावा 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन भी पूरे भारत में अवकाश रहता है। भारतीय संसद में भारत के संविधान के लागू होते ही भारत पूरी तरह से लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया था।
गणतंत्र दिवस के मौके पर देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिसमें देशभक्त बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। कई बड़े संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में कविता पाठ और कवि सम्मेलन का भी आयोजन होता है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज में कई प्रतियोगिताएं होती हैं जिनमें से भाषण, निबंध और शेर-ओ-शायरियां प्रमुख हैं।
गणतंत्र दिवस के मौके पर लगभग सभी स्कूलों और कॉलेजों में झंडा फहराया जाता है। साथ ही बच्चों को आजादी की कीमत बताई जाती है। इसके अलावा राजपथ पर होने वाले समारोह में भी बच्चों का खास योगदान होता है। जहां एनसीसी कैडेट्स सैनिकों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए परेड करते हैं तो वहीं कई स्कूली बच्चे समारोह में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा बनते हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री द्वारा कुछ साहसी बच्चों को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से भी नवाजा जाता है।
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है जिसे सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर मनाते हैं। यह पर्व किसी धर्म, जाति या समुदाय से न जुड़ा होकर समूचे देश का त्योहार है। राजधानी दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह को बेहद भव्य रूप से मनाया जाता है जिसमें देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रिमंडल के सदस्य जैसे गणमान्य व्यक्ति भाग लेते हैं। राजपथ पर राज्यों की झांकियों के अलावा भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन की झलक भी दिखाई जाती है। इसके अलावा राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत और महात्मा गांधी का प्रिय प्रार्थना गीत अबाईड विद मी की धुन भी बजाई जाती है।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में अलग-अलग राज्यों की खूबसूरती को नृत्य व गानों के जरिये दिखाया जाता है। 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर व परंपरा और आर्थिक प्रगति को दर्शाने वाली 22 झांकियों में से 16 झांकियां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की होंगी। इसके अलावा देश के लोगों के हित में बनाए गए स्कीम्स को दर्शाते हुए छह कार्यक्म होंगे। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की छह झांकियों में 'स्टार्ट अप इंडिया' और 'जल जीवन मिशन' जैसी सरकारी योजनाओं का दिखाया जाएगा।
आज हम अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इतने सालों की गुलामी के बाद आजाद भारत के लोगों में देशप्रेम कूट-कूट कर भरा है। आज के सोशल मीडिया के जमाने में लोगों के पास अपना देशप्रेम दिखाने के कई अलग-अलग तरीके उपलब्ध हैं। सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के साथ ही लोग देश को लेकर अपने विचार भी रखते हैं। इसके अलावा बहुत से सोशल मीडिया माध्यमों पर इस दिन के जश्न को मनाने के लिए कई फिल्टर्स भी मौजूद रहते हैं। साथ ही लोग आज के दिन कई हैशटैग्स का भी इस्तेमाल करते हैं।
इस साल हम अपना 71वां गणतंत्र दिवस समारोह मनाएंगे। दिल्ली के राजपथ पर सेना जहां एक तरफ देश की सैन्य ताकत दिखाएगी वहीं, परेड में देश की परंपरा व संस्कृति भी झलकेगी। न सिर्फ राजपथ, बल्कि विभिन्न स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में ध्वाजारोहण एवं राष्ट्रगान होगा। देश को आजाद कराने में अपनी जान की बाजी लगाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करने के साथ ही देश की रक्षा में प्राण गंवाने वाले शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी।
जन-गण-मन और अबाईड विद मी के साथ ही वंदे मातरम की धुनें भी गणतंत्र दिवस के मौके पर लोगों को राजपथ पर सुनाई देती है। वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा की गई थी। बंगाल में चले आजादी के आंदोलन के दौरान विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाता था। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में काफी लोकप्रिय हो गया और देश के अलग-अलग स्थानों पर इसे गाया जाने लगा। 14 अगस्त 1947 की रात संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम’ के साथ और समापन ‘जन गण मन’ के साथ हुआ।
भारतीय संविधान में यह साफ तौर से लिखा हुआ है कि भारत एक सम्प्रुभता सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणराज्य है। सम्प्रभुता शब्द जहां स्वतंत्र होने के मायने बताता है वहीं, समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। पंथनिरपेक्ष या धर्मनिरपेक्ष भी इसी संशोधन में शामिल किया गया था। लोकतांत्रिक भारत एक स्वतंत्र देश है, जहां लोगों को अपने मनमुताबिक नेता चुनने की आजादी दी गई है।
26 जनवरी को पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा होता है। भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजपथ में गणतंत्र दिवस समारोह बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। तीन दिन तक चलने वाले इस समारोह की शुरुआत जहां राष्ट्रपति के तिरंगा झंडा फहराने से होती है, वहीं 'बीटिंग द रिट्रीट' सेरिमनी के साथ गणतंत्र दिवस का आयोजन समाप्त होता है। इसके अलावा समारोह में कई कार्यक्रमों व ड्रिल का आयोजन किया जाता है।
गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम होते हैं जिनमें से लोक नृत्य, लोक गीत और परेड सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा जैसे ही राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं, उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इस मौके पर, नौसेना और थलसेना के द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े शहीदों के सम्मान में बंदूकों और तोपों से सलामी दी जाती है। साथ ही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है।
राष्ट्रीय गान के बोल सुनते ही हर भारतीय नागरिक उसके सम्मान में सावधान की मुद्रा में खड़ा हो जाता है। हृदयस्पर्शी इस धुन को हम जन गण मन कहते हैं। 13 लाइनों में लिखा गया यह गाना भारतीय संविधान और भारत के अस्तित्व की पहचान है, इसलिए इस गीत को राष्ट्र गान की उपाधि से भी नवाजा गया है। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड होती है। 1905 में रवीन्द्रनाथ टैगौर ने सबसे पहले जन गण मन बांग्ला भाषा में लिखी और उसे अपने सुरीले संगीत से सजाया। इसके बाद 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा में ‘जन गण मन’ के हिन्दी संस्करण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी गई।
हर भारतीय के लिए गणतंत्र दिवस का पर्व मनाना बहुत ही सम्मान की बात होती है। देश के हर शहर के कई स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों आदि में हर जगह 26 जनवरी को भारत देश का झंडा फहराया जाता है और रंगारंग समारोह का भी आयोजन होता है। इसमें होने वाले प्रोग्राम्स की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। इसके अलावा विदेश में रहने वाले भारत के लोग भूी 26 जनवरी को पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं।
भारत में गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। 1950 में इसी देश में संविधान लागू हुआ था। हालांकि, संविधान का निर्माण कार्य कुछ समय पहले ही पूरा हो गया था। लेकिन इसे लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में अंग्रेजों से पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास हुआ था। गणतंत्र का अर्थ होता है प्रजा यानी कि लोगों का शासन। इस दिन हमे भी देश सेवा, प्रगति और तरक्की के योगदान के बारे में कदम उठाने चाहिए और इनपर अमल करना चाहिए।
26 जनवरी को हर भारतीय राजपथ पर होने वाले सैन्य परेड को लेकर उत्सुक और उत्साहित रहते हैं। कुछ लोग इसे वहां जाकर देखते हैं तो कुछ टीवी पर इसका सीधा प्रसारण देखते हैं। सेना की तीनों टुकड़ियां परेड करते हुए भारत के राष्ट्रपति को सलामी देती है। इसके अलावा भी सेना कई कलाओं का प्रदर्शन करती है। देश के 71वें गणतंत्र दिवस समारोह में भी सेना राजपथ पर भारत की बढ़ती सैन्य ताकत का नजारा पेश करेगी। इसके अलावा देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक-आर्थिक प्रगति का भव्य प्रदर्शन होगा।
हर बार गणतंत्र दिवस पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व सेना के प्रमुख इंडिया गेट के अमर ज्योति जवान पर पुष्प अर्पित करते थे। पर इस बार गणतंत्र दिवस परेड समारोह की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गेटके पास ही स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर सभी देशवासियों के तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति की बजाय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वहीं, परेड की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा परेड की सलामी लेने से होगी।
भारतीय इतिहास में 26 जनवरी का दिन सुनहरे अक्षरों में चिन्हित है क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। आज के ही दिन 1950 में भारत एक संप्रभुत्व वाला लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ था। इसके अलावा सी. गोपालाचारी ने भारत के अंतिम गवर्नर जनरल का पद भी इसी दिन छोड़ा था जिसके बाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने इस पद की शपथ ली थी और अपना कार्यभार संभाला था। वहीं, 26 जनवरी 1950 को ही अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के तौर पर अपनाया गया था।
भारत अनेक धर्मों, आस्थाओं और संस्कृतियों के मेलजोल वाला देश है। यहां जितने धर्म हैं, उससे भी अधिक हैं उनमें मनाए जाने वाले त्योहार। अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग हर्षोल्लास से अपने त्योहार मनाते हैं, साथ ही दोस्त, रिश्तेदार भी उसमें शामिल होते हैं। गणतंत्र दिवस एक ऐसा राष्ट्रीय पर्व है जो प्रत्येक देशवासी के लिए महत्वपूर्ण है और पूरे देश में सम्मान और स्नेह के साथ मनाया जाता है। हर देशवासी इस दिन फिर चाहे वो किसी भी धर्म का हो, देशभक्ति से ओत-प्रोत हो यह पर्व मनाता है। इसके अलावा, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती भी राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
देश में 71 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर रिहर्सल का दौर जारी है। हर साल 26 जनवरी को होने वाले कार्यक्रमों की प्रैक्टिस काफी दिन पहले से शुरू हो जाती है। रंगारंग कार्यक्रम से लेकर सैन्य टुकड़ियों द्वारा किए जाने वाला परेड, सारी ही चीजों की तैयारियां लगभग एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। इस समारोह को देखने के लिए देश के गणमान्य व्यक्तियों के साथ मुख्य अतिथि भी मौजूद रहते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों की झलक बेहतर तरीके दिखाई जा सके इसलिए सभी कार्यक्रमों के रिहर्सल होते हैं। उस महत्वपूर्ण किसी प्रकार की चूक न हो इसके लिए पहले से प्रैक्टिस बेहद जरूरी है।
ना जियो धर्म के नाम पर,
ना मरो धर्म के नाम पर,
इंसानियत ही हैं धर्म वतन का,
बस जियों वतन के नाम पर ।
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शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़कर गणतंत्र दिवस की शुरुआत की। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि उनकी लड़ाई लंबी है और ये चलती रहेगी। धरने पर बैठी महिलाएं आज 26 जनवरी की सुबह शाहीन बाग में 80 फीट ऊंचा और 45 मीटर लंबा तिरंगा फहराएंगी।
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने निर्धारित किया है कि 26 जनवरी यानी आज से हर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में सुबह की प्रार्थना के बाद भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा जाएगा। संविधान की संप्रभुता सबके हित में.. नामक सरकारी कार्यक्रम के तहत ये शुरू किया गया है। महाराष्ट्र में ये अनिवार्यता ऐसे समय में की गई है जब कई जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं।
बहुत संघर्षों के बाद 1947 में ब्रिटिश शासन से हमारे देश को आज़ादी मिली। अंग्रेजों से आज़ादी के बाद भारत को एक स्व-शासित देश बनने के लिए संविधान की जरूरत थी। डॉक्टर बी.आर अंबेडकर के नेतृत्व में हमारे देश का संविधान लिखा गया जिसे 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। इसके बाद से ही हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1.भूख, गरीबी, लाचारी कोइस धरती से आज मिटाएं,भारत के हर वासी कोउसके सब अधिकार दिलाएंआओ सब मिलकर गणतंत्र दिवस मनाएं।
2. आज़ादी का जोश कभी कम ना होने देंगे,जब भी ज़रूरत पड़ेगी देश के लिए जान न्योछावर करेंगे।क्योंकि हम भारत के वासी, अब दोबारा इस पर कोई आंच ना आने देंगे।
3. कतरा कतरा दे दूंगा अपने वतन के लिए,रात और दिन बॉर्डर पर पहरा दूंगा अपने वतन के लिए।ये कुर्बानी है मेरी मेरे देश के लिए,जरुरत आने पर अपनी जान भी दूंगा अपने वतन के लिए।
हिंदी और अंग्रेजी में मौजूद संविधान की प्रतियों को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है। हाथों से लिखे गए संविधान की प्रतियां कैलीग्राफ्ड भी उनके द्वारा ही की गई। यह रायजादा का खानदानी पेशा हुआ करता था। 06 महीने की अवधि में लिखे गए संविधान में टाइपिंग या प्रिंटिंग का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है। एक हजार से भी अधिक सालों तक बचे रहने वाले सूक्ष्मजीवी रोधक चर्मपत्र (Microbial Parchment) पर भारतीय संविधान की पांडुलिपि (Manuscript) लिखकर तैयार की गई है जिसमें 234 पेज हैं और इसका वजन 13 किलो है।
इस साल हम देश का 71वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं और देश की आजादी के 80 बरस भी जल्द ही पूरे हो जाएंगे। आजादी मिलने और संविधान लागू होने के इतने सालों बाद भी हमारा देश विकास की गति में धीमा ही है। आज भी भारत नक्सलवाद, आतंकवाद, अपराध, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अशिक्षा, हिंसा, गरीबी, लड़कियों के साथ छेड़छाड़ जैसी समस्याओं से लड़ रहा है। एकजुट होकर काम करने से ही देश की ये समस्याएं जड़ से खत्म होंगी। हम सभी को एक होकर इन समस्याओं को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। जब तक भारत इन परेशानियों से जूझता रहेगा तब तक हमें सही मायनों में आजादी नहीं मिलेगी। सभी धर्म-जाति के लोगों के एक होकर प्रयास करने से सर्वश्रेष्ठ और विकसित भारत का निर्माण हो सकता है।
26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजपथ में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं और देशवासियों को संबोधित करते हुए भाषण भी देते हैं। इसके अलावा देश की तीनों सेना की टुकड़ियां एक साथ परेड करती है। कई लोकनृत्यों और गीतों का सिलसिला भी चलता है जो भारतीय संस्कृति की झलक दिखाती है। जहां एक ओर राष्ट्रपति, अन्य गणमान्य व्यक्तियों के संग अमर ज्योति पर फूल चढ़ाकर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजि देते हैं वहीं, इस दिन वीर सैनिकों को उनके साहस और पराक्रम के लिए सम्मान से भी नवाजा जाता है। देश की रक्षा के लिए अतुल्य योगदान और बलिदान देने वाले सैनिकों को, उनकी इस वीरता के लिए पदकों से पुरस्कृत किया जाता है। गणतंत्र दिवस के मौके परम वीर चक्र, वीर चक्र एवं महावीर चक्र दिया जाता है। साथ ही इस दिन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भी देते हैं।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के कई गणमान्य लोगों के साथ ही मुख्य अतिथि भी मौजूद रहते हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। पुलिस अधिक अलर्ट और चौकन्ना हो जाती है। इसके अलावा हर शहर के व्यस्त इलाकों में गश्त बढ़ा दी जाती है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट्स पर भी अधिक सुरक्षाबल तैनात कर दिये जाते हैं। साथ ही 26 जनवरी को यातायात भी बाधित रहती है। दिल्ली में राजपथ पर होने वाले कार्यक्रम को नजर में रखते हुए एक दिन पहले से ही उस रूट में गाड़ियों के घुसने पर मनाही हो जाती है। इसके अलावा कार्यक्रम में ले जाने वाली कई वस्तुओं पर भी रोक लगी होती है।
संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी 1950 को सुबह- सुबह ही भारत का संविधान लागू किया गया था जिसके बाद हमारा देश एक गणतंत्र देश बन गया। एक गणतंत्र देश बनने के कुछ देर बाद ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। इस दिन पहली बार बतौर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले थे। संविधान सभा द्वारा ही सभी की सहमति से डॉ. प्रसाद को राष्ट्रपति घोषित किया गया था। संविधान होने की वजह से भारत के सभी जाति और वर्ग के लोगों को एक दूसरे जुड़े हैं और बिना किसी मतभेद के रहते हैं क्योंकि इसमें सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से प्रमुखता दी गई है।
गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रम देश की परंपरा और संस्कृति को झलकाते हैं। साथ ही यहां की एकता और अखंडता को भी दर्शाते हैं। सेना द्वारा परेड और कला प्रदर्शन उनकी वीरता और पराक्रम को दिखाता है। साथ ही लोगों में एक विश्वास पैदा करता है कि उनके रहते देशवासियों को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हैं। साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन करते हैं।
भारत की संविधान सभा में 24 नवंबर 1947 को देश का संविधान पेश हुआ। पर इसे लागू होने में 26 जनवरी 1950 तक का समय लग गया। हम हर साल इस दिन को याद करते हुए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। दूसरी तरफ संविधान के संविधान सभा में प्रस्तावित होने वाले दिन यानि कि 24 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। गणतंत्र का अर्थ होता है कि देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति मिले, साथ ही इसे सही दिशा में ले जाने के लिए एक राजनैतिक नेता के रूप में अपने प्रतिनिधियों का चुनने का अधिकार भी लोगों को मिले।
गणतंत्र दिवस के मौके पर लोग अलग-अलग तरीकों से जश्न मनाना पसंद करते हैं। जहां कुछ लोग इस मौके पर होने वाले समारोह में भाग लेते हैं तो वहीं कई लोग घर में टीवी पर राजपथ का सीधा प्रसारण देखते हैं। इस दिन लोगों के परिधानों, पकवानों हर जगह से देशभक्ति की सुगंध आती है। बच्चे तिरंगा झंडा लिए स्कूल जाते हैं। कुछ लोग झंडा वाला स्टिकर भी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा गणतंत्र दिवस के मौके पर लोग जलेबी खाना भी पसंद करते हैं। केसरिया, सफेद और हरे रंगों के परिधानों में लोग घूमने भी निकलते हैं, साथ ही कई तस्वीरें भी खिचवाते हैं।
हेनरी फ्रांसिस की प्रार्थना गीत अबाईड विद मी हर बार गणतंत्र दिवस के मौके पर गाया जाता है। 19वीं शताब्दी में लिखे गए इस गाने को कंपोज विलियम हेनरी मॉन्क ने किया था। यह गीत महात्मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक थी जिसकी धुनों को देशवासी हर बार गणतंत्र दिवस पर के मौके पर सुनते हैं। 1950 से हर वर्ष बीटिंग द रीट्रीट के समय इस गाने को गाया जाता है। रिपब्लिक डे पर इसके अलावा और भी कई रंगारंग प्रस्तुतियां होती हैं जिनमें कई राज्यों के लोक नृत्य और लोकगीत शामिल हैं। इससे देश की विभिन्न संस्कृतियों की झलक मिलती है।