26 जनवरी आजादी से पहले भी देश के लिए एक अहम दिन था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे का फहराया गया था। अधिवेशन में इसी दिन एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था। सभी की सहमति से लिया गया यह फैसला पूर्ण स्वराज दिवस के तौर पर इस दिन को मनाने का था। कहा गया था कि इसी दिन सभी स्वतंत्रता सेनानी स्वराज का प्रचार करेंगे। इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गई। गणतंत्र दिवस के दिन होने वाली परेड आज भारत की दुनिया में पहचान बन चुकी है। इसी दिन पंडित जवाहर लाला नेहरू ने 1930 में लाहौर में रावी नदी के तट पर रात के एक बजे कांग्रेस अधिवेशन में कहा था कि- आज से हम स्वतंत्र हैं और देश की स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए हम अपने प्राणों को स्वतंत्रता की बलिदेवी पर होम कर देंगे और हमारी स्वतंत्रता छीनने वाले शासकों को सात समंदर पार भेजकर ही सुख की सांस लेंगे।

यह बात तो सभी जानते हैं कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है। हमारा देश भारत 1 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। आजादी के बाद जरूरत थी हमें अपने देश के संविधान की और हमारे देश का संविधान बनाने में भीमराव अंबेडकर की अहम भूमिका थी। हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया। इससे पहले भारत में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट (1935) लागू था। इसी वजह से हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। ये राष्ट्रीय त्योहार हमारे देश के लिए गर्व का प्रतीक है और यह देशभक्ति की भावना से जुड़ा है।

26 जनवरी 1950 के दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। दिल्ली के गवर्नमेंट हाउस में बने दरबार हॉल में उन्होंने शपथ ली थी। इसके बाद उन्होंने इरविन स्टेडियम में देश के राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था और परेड की शुरुआत हुई थी। इस दिन देश की रक्षा में खुद के प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को राष्ट्रपति कीर्ति चक्र, अशोक चक्र और परमवीर चक्र से सम्मानित करते हैं। इसके अलावा अपनी अद्भुत वीरता और साहस दिखाने वाले बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया जाता है। इन बच्चों की उम्र 6-18 साल के बीच होती है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी राष्ट्र का प्रतिनिधि हमारे देश में गणतंत्र दिवस के मेहमान के तौर पर शामिल होता है। इस साल अबु धाबी के राजकुमार मोहम्मद बिन जायेद बिन सुल्तान अल-नाहयान विशिष्ट अतिथि बनकर आएंगे। बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के साथ इस राष्ट्रीय पर्व की समाप्ति होती है।