Radha Ashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस तिथि को राधा अष्टमी कहते हैं। यह दिन राधारानी के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। भक्त व्रत-उपवास कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन राधाजी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन आप बृज मंडल में बनें ‘लाड़ली’ के 5 मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। उनके दर्शन मात्र से आपके कष्ट दूर हो जाएंगे।
1- राधारानी मंदिर, बरसाना
बृज मंडल में बनें विश्वप्रसिद्ध राधारानी के मंदिर में पूरे साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यह बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर बना हुआ है। बरसाना में राधा को ‘लाड़ली’ के नाम से पुकारा जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से देवी राधा को समर्पित है। इससे जुड़ी कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि राधा रानी मंदिर मूल रूप से लगभग 5000 साल पहले राजा वज्रनाभ (कृष्ण के परपोते) द्वारा स्थापित किया गया था।
2- राधा रमण मंदिर
राधा अष्टमी पर आप राधा रमण मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। यह वृंदावन रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में राधारानी के साथ कृष्ण के मूल शालिग्राम विग्रह की भी स्थापना है। राधा रमण का अर्थ है श्री राधा का प्रिय। इसकी खास बात यह है कि यहां राधारानी की कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन राधारमण के बाईं ओर श्री राधा का एक चित्र बड़ी श्रद्धा के साथ रखा गया है। कृष्ण के बगल में केवल मुकुट रखा है जो राधा की उपस्थिति का प्रतीक है।
3- राधा वल्लभ मंदिर, वृन्दावन
इस मंदिर को श्री हरिवंश महाप्रभु ने स्थापित किया था। श्री राधा वल्लभ मंदिर में श्री कृष्ण और श्री राधा दोनों के एक साथ दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है 400 वर्ष से अधिक पहले निर्मित मूल मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने ध्वस्त करवा दिया था। तब श्री राधा वल्लभ जी के श्री विग्रह को सुरक्षा के लिए राजस्थान से भरतपुर जिले के कामां में ले जाकर वहां के मंदिर में स्थापित किया गया।
4- राधाकुंड
गोवर्धन से मात्र 5 किमी उत्तर और मथुरा से 26 किमी पश्चिम में यह राधाकुंड है। यह एक विशाल झील है, जहां श्री कृष्ण ने अरिष्ट (बैल राक्षस) का वध किया था। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अष्टमी को राधा कुंड में डुबकी लगाने का खास महत्व है। राधा कुंड में जो भी श्रद्धालु संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है।
5- रंग महल
रंग महल वृंदावन में है। मंदिर के अंदर बने रंगमहल में कृष्ण−राधा का पलंग लगाया जाता है। साथ ही यहां राधाजी का श्रृंगार सामान रखा जाता है। इसके बाद इस मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब सुबह दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान अस्त−व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा−कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं।
ये मंदिर भी हैं खास
इसके अलावा आप राधा कुंड, श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, वैष्णोदेवी मंदिर, श्री रामबाग मन्दिर आदि के भी दर्शन कर सकते हैं।
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