पीरियड्स में अनियमितता महिलाओं से जुड़ी एक आम स्वास्थ्य समस्या है। आमतौर पर पीरियड्स का न आना प्रेग्नेंसी की ओर संकेत करता है लेकिन इसके और भी कारण हो सकते हैं। बहुत सी ऐसी महिलाएं होती हैं जो पीरियड के न आने, देरी से आने या फिर बंद होने पर ये सोचकर घबरा जाती हैं कि कहीं वो प्रेग्नेंट तो नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए इस बात की जानकारी बेहद जरूरी हैं कि पीरियड्स के लेट आने या फिर न आने के कई और तरह के कारण भी होते हैं। आज हम इन्हीं कारणों के बारे में आपको बताने वाले हैं-

तनाव की वजह से – स्ट्रेस या फिर तनाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को कई तरीकों से प्रभावित करता है। पीरियड्स में देरी उन्हीं प्रभावों में से एक है। तनाव अंडोत्सर्ग के लिए जिम्मेदार हार्मोन जीएनआरएच के स्राव को कम कर देता है जिससे मासिक धर्म की प्रक्रिया में बाधा आती है। इस वजह से पीरियड्स आने में देरी होती है।

बीमारी की वजह से – कभी-कभी बुखार जैसी छोटी बीमारियों की वजह से पीरियड्स लेट आते हैं। लंबे समय तक रहने वाली बीमारियां भी मासिक चक्र को प्रभावित करती हैं। हालांकि इनका प्रभाव अस्थायी होता है और जब आप बीमारियों से निजात पा लेती हैं तब आपका मासिक धर्म प्राकृतिक रूप से संचालित होने लगता है।

स्तनपान की वजह से – स्नपान कराने वाली महिलाओं में भी पीरियड्स की अनियमितता देखी गई है। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिनका मासिक चक्र तब तक सामान्य नहीं हुआ जब तक कि वजह स्तनपान कराती थीं।

गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से – गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल या फिर अन्य दवाओं के इस्तेमाल से भी मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। ऐसे में लाइटर या फिर स्किप्ड पीरियड की शिकायत हो सकती है। ऐसे होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

मोटापे की वजह से – मोटापे की वजह से भी मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। यह पीरियड्स में देरी और पीरियड्स न आने का भी कारण होता है। सामान्य से कम वजन होना भी पीरियड्स के देरी से या न आने का कारण हो सकता है।

प्री-मेच्योर मेनोपॉज की वजह से – जब महिलाओं उम्र 35-40 साल के आस-पास होती है तो उनमें कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में पीरियड्स आना भी बंद हो जाता है। यह प्रक्रिया अगर समय से पहले हो तो इसे ही प्री-मोच्योर मेनोपॉज कहा जाता है। ऐसे में महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।