प्रशांत किशोर ने यूएन में नौकरी छोड़ा वापस भारत आने का फैसला अचानक किया था। प्रशांत कई इंटरव्यूज़ में अपने उस फैसले के बारे में बात कर चुके हैं। प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह यूएन में अच्छी-खासी नौकरी कर रहे थे, लेकिन उन्हें गुजरात सीएमओ से फोन आया था। उस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के चीफ मिनिस्टर हुआ करते थे। मोदी से मुलाकात के बाद प्रशांत किशोर ने एक शर्त रखी थी। जिसमें था कि वह नरेंद्र मोदी से सीधा करेंगे।
हालांकि बाद में चीजों ऐसे ही हुईं और प्रशांत ने अपनी नौकरी छोड़ वापस भारत आने का फैसला किया। ‘लाइट एंड शेड इवेंट्स’ के कार्यक्रम ‘द ब्रांड मास्टर’ में प्रशांत किशोर ने बताया कि ये फैसला लेना उनके लिए कितना मुश्किल था और परिवार तो उनके इस फैसले के बिल्कुल भी साथ नहीं था। प्रशांत कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने कितनी मेरी मदद की। लेकिन मैं यूएन में जो काम कर रहा था, वैसा ही काम यहां करने आया था।’
मोदी के लिए लिखी थी स्पीच: प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘मैं यहां रणनीतिकार की भूमिका निभाने नहीं, बल्कि रणनीतिकार के रूप में आया था। लोग कहने लगे कि यूएन में डिप्लोमेट की नौकरी छोड़ भारत आ रहे हो, तुम पागल हो गए हो क्या? परिवार कहने लगे कि पढ़ाई लिखाई में मन नहीं है तो यहां आकर राजनीति में भाग लेने लगा। खैर, मैं वहां यूएन में स्पीच लिखा करता था तो एक बार नरेंद्र मोदी का कहीं भाषण था तो उनके लिए भी मैंने ही लिखा और उन्हें काफी पसंद भी आई होगी वो स्पीच।’
प्रशांत ने आगे बताया, ‘नरेंद्र मोदी के साथ पहले ही चार-पांच लोगों की टीम थी और उन्होंने कहा कि प्रशांत जी नए आए हैं। इन्हें भी थोड़ा मौका दिया जाए। ऐसा नहीं है कि मैं एक ही दिन में बन गया। मैं हर रोज़ सुबह बेहतर करने का प्रयास करता था। आज जो भी मैं हूं उसके लिए मैंने 4-5 साल पहले काम किया था। फिर कहीं जाकर लोगों को मेरे बारे में पता चला था। मैं सोशल पॉलिसी पर काम करता था यूएन में। वहां हम जैसे सवाल पूछते थे, वैसे ही हमने यहां पूछने शुरू कर दिए। लेकिन बस यहां राजनीति से संबंधित सवाल होते थे।’