Happy Parsi New Year 2022: पारसी धर्म के नए साल की शुरुआत 16 अगस्त से हुई। इसे ‘नवरोज’ के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें ‘नव’ का अर्थ नया होता है और ‘रोज’ दिन यानी कि नया दिन। पारसी समुदाय और धर्मों से इतर नवरोज से नए साल की शुरुआत करता है। आज पारसी नववर्ष के मौके पर हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों पारसी समुदाय के लोग इस दिन से अपने नए साल की शुरुआत करते हैं और इस दिन का उनके लिए क्या महत्व है।
पारसी नववर्ष से जुड़ा इतिहास (History of Parsis New Year ) 2022 Parsi New Year Know History And Significance:
पारसी समुदाय के लोग अगस्त के महीने से अपने नए साल की शुरुआत करते हैं और इस दिन को बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं। बता दें कि भारत के अलावा और भी कई अन्य देशों में पारसी लोग अपने इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। जिसमें ईरान, पाकिस्तान, बहरीन आदि देश शामिल हैं।
पारसी समुदाय में नवरोज मनाने की परंपरा करीब 3 हजार से भी अधिक सालों से चली आ रही है। बात अगर इसके इतिहास के बारे में की जाए तो फारस के राजा जमशेद की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी और अपना सिंहासन भी ग्रहण किया था। इसलिए इस दिन को पारसी समुदाय के लोग नये साल के रूप में मनाते हैं।
पारसी नववर्ष का महत्व (Importance of Parsi New Year )
पारसी समुदाय के लोगों के अनुसार यह दिन प्रकृति प्रेम का उत्सव है। इस दिन सभी पारसी लोग अपनी पुरानी परंपराओं के साथ इस दिन को मनाते हैं और अपने घरों को खूब अच्छे से सजाते हैं। धर्मशाला में इकट्ठा होकर पूजा करते हैं। साथ ही दोस्तों व परिवार के लोगों को तोहफे भी देते हैं। इसके अलावा इस दिन का सेलिब्रेशन लगभग 5 दिन तक चलता है।
नववर्ष के बाद सभी लोग 5 दिन तक अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए पूजा भी करते हैं। बता दें कि इन 5 दिनों के इस पर्व को ‘गाथा’ कहा जाता है। साथ ही इन 5 दिनों के दौरान सभी लोग कई -कई तरह के पकवान बनाते हैं और हंसी-खुशी के साथ यह त्यौहार मानते हैं। भारत में भी पारसी समुदाय नवरोज को बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाता है।