Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2020 Quotes, Status, Images, Photos: भारतीय इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस का नाम एक महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर याद किया जाता है। उनके अविस्मरणीय योगदान का भारत की आजादी में बहुत बड़ा हाथ है। आज देश उनकी 123वीं जयंती मना रहा है। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए एक अलग सेना ही तैयार कर ली थी। उसका नाम था आजाद हिंद फौज। बताया जाता है कि इस फौज का गठन करने में जापान ने उस दौर में काफी मदद की थी। एक अनुमान के मुताबिक, आजाद हिंद फौज में करीब 85000 सैनिक थे जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों थे। अपने जोशीले नारों से देशवासियों में उत्साह भरने वाले जननायक सुभाष चंद्र बोस की बातें आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
1.”जो फूलों को देखकर मचलते हैं उन्हें कांटे भी जल्दी लगते हैं।”
2.”अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है।”
3.”समय से पहले की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो, या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है।”
4.”अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।”
5.”असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।”
6.”निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है।”
7.”मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है कि मुझे आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।”
8.”हमें केवल कार्य करने का अधिकार है और कर्म ही हमारा कर्तव्य है। कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं।”
9.”भावना के बिना चिंतन असंभव है। यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता। बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते।”
नेताजी ने अपनी खुद की भारतीय राष्ट्रीय शक्तिशाली पार्टी 'आजाद हिन्द फौज' का गठन गांधी से मनमुटाव होने के बाद किया। बोस को कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन इससे न तो वो निराश हुए और न ही हताश। वो कुछ समय के लिए जर्मनी भी गए और वहां रहने वाले भारतीयों और कुछ भारतीय युद्धबंदियों की मदद से भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया। हिटलर से निराश होने के बाद वो जापान गए और अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना को दिल्ली चलो का एक प्रसिद्ध नारा दिया।
“हमारा कार्य केवल कर्म करना हैं ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! फल देने वाला स्वामी ऊपर वाला है।”
“जब आज़ाद हिंद फौज खड़ी होती हैं तो वो ग्रेनाइट की दीवार की तरह होती हैं ; जब आज़ाद हिंद फौज मार्च करती है तो स्टीमर की तरह होती हैं। ”
नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी की कई बातों और विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते थे, और इस पर उनका मानना था कि हिंसक प्रयास के बिना भारत को आजादी नहीं मिलेगी।
नेताजी का ऐसा मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है, तो वहीं गांधी अहिंसक आंदोलन में विश्वास करते हैं।
नेता जी का जीवन जीने का ढंग निराला था। वह जीवन को बहुत ही सकारात्मकता के साथ देखते थे। ”अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।”
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए एक अलग सेना ही तैयार कर ली थी। उसका नाम था आजाद हिंद फौज। बताया जाता है कि इस फौज का गठन करने में जापान ने उस दौर में काफी मदद की थी।
पिता की इच्छा पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1920 में सिविल सर्विस परीक्षा इंग्लैंड में जाकर पास की। कुछ ही दिन नौकरी करने के बाद उनका मन अंग्रेजों की गुलामी से उक्ता गया और 23 अप्रैल 1921 को इस्तीफा भी दे दिया। इसके बाद वह स्वाधीनता संग्राम में शामिल हो गए।
नेताजी कहते थे, 'आज हमारे मन में एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो।'
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जीवन के संदर्भ में बहुत ही गूढ़ बात कही थी, उन्होंने कहा था कि अगर जीवन में संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही खत्म हो जाता है!
नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहते थे कि ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
"यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का भुगतान अपने रक्त से करें। आपके बलिदान और परिश्रम के माध्यम से हम जो स्वतंत्रता जीतेंगे, हम अपनी शक्ति के साथ संरक्षित करने में सक्षम होंगे।"
"मुझे ये देखकर बहुत दुख होता है कि मनुष्य जीवन पाकर भी उसका अर्थ समझ नहीं पाया है। यदि आप अपनी मनजिल पर ही पहुंच नहीं पाए, तो हमारे इस जीवन का क्या मतलब।"
"भले ही जीवन अनिश्चित है लेकिन इस बात से मै कभी नही घबराता"
"यदि खुद के स्वाभिमान को जानना है तो किसी मछली से सीख सकते हो ये सिर्फ जल और स्थान बदलने पर भी अपने मातृभूमि के लिए तड़प तड़प के अपनी जान गवां देती हैं।"
नेताजी में अपने देशवासियों के प्रति अंग्रेजों के क्रूर और बुरे बर्ताव को देखकर उनके मन में अंग्रेजों के प्रति काफी कटुता थी। सिविल सेवा की परीक्षा पास करने के बावजूद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी बनने का फैसला किया। भारत की आजादी के लिए हर वक्त तत्पर रहने वाले बोस राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए।
"बिना जोश से किसी भी महान कार्य को नही किया जा सकता है।"
"व्यर्थ की बातो में खोने के बजाय जीवन के एक एक पल के महत्व को समझना चाहिए।"