Muharram 2019 Images, Quotes, Status, Messages, SMS, Photos: मुहर्रम, मुस्लिम कैलेंडर में दूसरा सबसे पवित्र महीना है, जो रमजान और इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने आता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है, क्योंकि इस्लामी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है। मुहर्रम का शाब्दिक अर्थ ‘निषिद्ध’ है। मुहर्रम के दसवें दिन को ‘आशूरा का दिन’ माना जाता है, जो शिया मुसलमानों के अनुसार ‘मुहर्रम का शोक’ होता है। शिया मुसलमान, इस दिन के दौरान विभिन्न इरादों के साथ, अलग-अलग काम करते हैं। चूंकि मुहर्रम उनके चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है, इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में तारीखें बदल जाती हैं। इस दिन इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान मुहर्रम की नौ और दस तारीख को रोजा रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत करते हैं।
1. “वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम… ”
2. “सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी…
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी…
एक चमन फातिमा का उजड़ा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी.. ”
3. “यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,
महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का…. ”
4. “करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,
यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”
5. “इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया…”
6. “दिन रोता है रात रोती है,
दिन रोता है रात रोती है..
हर मोमिन की जात रोती है,
जब भी आता है मुहर्रम का महिना,
खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,
सारी कायनात रोती है.. ”
7. “कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का,
खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का…
मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में,
क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”
8. “सर गैर के आगे ना झुकाने वाला,
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला…”
9. “एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन,
आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का..
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,
होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का…”
10. “मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी,
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,
ना डिगा वो हौसलों से अपने,
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी..”
