Happy Birth Anniversary Mother Teresa: भारत के गरीब लोगों को अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली मदर टेरेसा का जन्म मैसेडोनिया देश में एक अल्बानियाई परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी। उनके जन्म के एक दिन बाद उनका बपतिस्मा हुआ, जो ईसाइयों के बीच एक धार्मिक प्रक्रिया थी। इसलिए उन्होंने 27 अगस्त को अपना बर्थडे माना। 26 अगस्त 1910 को जन्मी मदर टेरेसा गरीबों और वंचितों के प्रति निस्वार्थ सेवा के लिए जानी जाती हैं। इस बार 26 अगस्त 2022 को मदर टेरेसा की 112वीं जयंती है। मदर टेरेसा को दुनिया भर के लोगों द्वारा प्यार और सम्मान दिया गया है।

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ऐसे एग्नेस बनीं मदर टेरेसा

मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस था। उसने अपना नाम छोड़ दिया और टेरेसा नाम चुना। वह संन्यासी थेरेसा ऑस्ट्रेलिया और अविला की टेरेसा को अपने नाम से सम्मानित करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने टेरेसा नाम चुना।

18 वर्ष की उम्र में मदर टेरेसा ने छोड़ दिया घर

18 साल की उम्र में मदर टेरेसा ने घर छोड़ दिया, इतना ही नहीं उन्होंने घर के साथ अपना देश भी छोड़ दिया। बताया जाता है कि इसके बाद जब तक वह जीवित रहीं, वह अपने परिवार वालों से नहीं मिलीं। उनका संपर्क सिस्टर ऑफ लोरिटो से था उनसे मिलने के लिए वह आयरलैंड गई थीं। आयरलैंड में उन्होंने अंग्रेजी सीखने के लिए कड़ी मेहनत की और फिर जनवरी 1920 में भारत आ गईं, जहां उन्होंने स्नातक होने के बाद ईसाई मिशनरियों के लिए काम करने का फैसला किया, उन्होंने 1931 में ननों का कठिन प्रशिक्षण लिया और कोलकाता के स्कूलों में काम करना शुरू कर दिया।

लोगों का पेट भरने के लिए मांगी भीख

मदर टेरेसा जब मानव कल्याण की क्षेत्र में आईं तो उन्होंने सबसे पहले अपनी पोशाक को साड़ी में बदला ताकि वह लोगों के बीच आसानी से रह सकें। वह पहले से ही एक साधारण जीवन जीने की आदी थीं लेकिन सेवा कार्य के दौरान उन्हें एक झोपड़ी में रहना पड़ा और भीख मांगकर लोगों का पेट भरा। इस दौरान कई बार कॉन्वेंट वापस जाने का मन हुआ क्योंकि झुग्गी-झोपड़ी का जीवन बहुत कठिन था। लेकिन वह डटी रहीं और कुष्ठ, प्लेग आदि रोगों के रोगियों की भी मदद की। 1948 के युग में भारत की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। ऊपर से कोई भी गरीबों को ऐसी स्थिति में ठीक से नहीं रखता था।

1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से किया गया सम्मानित

भारत में उनके मानवीय कार्यों के लिए उन्हें 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मदर टेरेसा ने बच्चों की मदद के लिए नोबेल पुरस्कार के साथ मिले 1,38,42,912 रुपये को भी दान कर दिया। मदर टेरेसा को साल 1980 में भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।