गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक सुंदर चरण होता है। महिलाओं के लिए मां बनना एक बहुत ही सुखद एहसास होता है। गर्भवती महिलाओं में जल्दी से मां बनने के लिए उत्सुकता भी होती है। बच्चे के जन्म के बाद हर महिला को ज़िंदगी में नये अनुभव होते हैं। इनमें से कुछ अनुभव अच्छे और कुछ कम अच्छे होते हैं। मां बनने के साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य में कई प्रकार के बदलाव होने के साथ ही उनके सामने कई चुनौतियां भी आती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि उन चुनौतियों से कैसे निपटे-

नींद की कमी: मां बनने के साथ ही महिलाओं को नींद की समस्या हो जाती है। घर आए नन्हे मेहमान के साथ ही आपको अपनी नींद के साथ समझौता करना पड़ सकता है। बच्चे के सोने-जागने केसाथ ही मम्मा को भी जागना और सोना पड़ता है। इससे, महिलाओं की नींद नहीं पूरी होती, जिसके कारण उनमें थकान हो जाती है। कई बार न सोने की वजह से महिलाओं में चिड़चिड़ापन भी हो जाता है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन: यह एक ऐसी स्थिति है जिसका सामना बहुत सी महिलाओं को चाइल्डबर्थ के बाद करना पड़ सकता है। यह एक मानसिक बीमारी है जो आपके सोचने, महसूस करने, या कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। बॉलीवुड अभिनेत्री समीरा रे़ड्डी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजरने की बात स्वीकार कर चुकी हैं। वहीं, अन्य कई मशहूर सेलेब्स ने भी इस बारे में कई बार खुलकर बात की है।

गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद हार्मोनल परिवर्तन अनुभव किया जाता है। गर्भावस्था के समय, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर सामान्य से अधिक होते हैं। डिलीवरी के बाद यह स्तर अचानक सामान्य हो जाता है। इस अचानक हुए परिवर्तन से डिप्रेशन हो सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग: बहुत-सी महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद समझ नहीं आता कि वे बच्चे को सही तरीके से पकड़कर दूध कैसे पिला (position of baby for breastfeeding) सकती हैं। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जन्म के घंटेभर बाद से ही बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया (breastfeeding) शुरू कर देनी चाहिए।

लेकिन कई बार सी-सेक्शन प्रसव के बाद महिलाओं को कई घंटे तक होश नहीं रहता है। इसके अलावा कम मिल्क प्रॉडक्शन या लैक्टेशन (Lactation) की कमी, तनाव (stress), बच्चे का स्वास्थ्य कई अन्य स्वास्थ्य कारणों के चलते महिलाओं के लिए सहज और सही तरीके से बच्चे को दूध पिलाना संभव नहीं हो पाता। इसके लिए ऐसी महिलाओं का समूह खोजें जो आपकी ही तरह लैक्टेटिंग मदर हो या बच्चे को अपना दूध पिलाती हों। इसके अलावा लैक्टेशन कंसल्टेंट (lactation consultant) की सलाह लें। साथ ही धीरे-धीरे बच्चे को सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कराना सीखें।