Mahalaya, Pitru Paksha Amavasya 2018 Puja Vidhi, Mantra: पितृ विसर्जन अमावस्या को महालया के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जिन पितरों के देहावसान की तिथि न मालूम हो उनका श्राद्ध महालया या पितृपक्ष अमावस्या को किया जाता है। यह आश्विन माह की अमावस्या को पड़ता है। दुर्गा पूजा से सात दिन पहले आने वाले इस पर्व को पितृपक्ष का अंत और दुर्गा पूजा का प्रारंभ माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन माता दुर्गा कैलाश से धरती की यात्रा शुरू करती हैं।
ऐसे करें पितरों को विदा – गरुण पुराण के मुताबिक पितर चाहते हैं कि महालया के दिन परिवार के लोग उनका श्राद्ध कर उन्हें दोबारा विदा करें। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों में पितर धरती पर उतरते हैं और अमावस्या के दिन उनकी विदाई की जाती है। पितरों की विदाई के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करके शुद्ध मन से सात्विक भोजन बनाएं। लहसुन प्याज के बिना बने इस भोजन में खीर और पूड़ी जरूर शामिल हो। गाय के लिए, कुत्ते के लिए, चींटी के लिए, कौआ के लिए और देवताओं के लिए भोजन पहले ही निकाल दें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
भोजन के उपरांत ब्राह्मण का तिलक करें और श्रद्धापूर्वक दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ भोजन करें तथा पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। ऐसी मान्यता है कि यदि पितर प्रसन्न होकर विदा होते हैं तो वह अपने साथ परिवार की समस्त परेशानियां लेकर चले जाते हैं।
क्या है तारीख और मुहूर्त – इस साल महालया या सर्वपितृ अमावस्या सोमवार यानी 8 अक्टूबर को है। श्राद्ध करने के विविध मुहूर्त इस प्रकार हैं –
कुतुप मुहूर्त – 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त – 12:31 से 13:17 तक
अपराह्न काल – 13:17 से 15:36 तक

