शिव यानि कल्याण करने वाले, शिव यानि बाबा भोलेनाथ, शिव यानि शिवशंकर, शिवशम्भू, नीलकंठ, रूद्र आदि नामों से पुकारे जाने वाले भगवान शिव की आज (24 फरवरी) चहुंओर पूजा हो रही है। हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव सबसे लोकप्रिय हैं। वे देवों के देव महादेव हैं। असुरों के राजा भी उनके उपासक रहे हैं। इनकी सरलता ही इनकी लोकप्रियता का कारण है। लेकिन भगावन शिव जितने सरल हैं उतने ही गुस्सालु भी हैं। कोई उनसे झूठ बोले वो उसे बर्दाश्त नहीं करते चाहे वो उनकी सबसे प्रिय पत्नी पार्वती ही क्यों न हों। ऐसी मान्यता है कि झूठ बोलने की वजह से ही बाबा भोलेनाथ ने मां पार्वती का त्याग कर दिया था।

शिव महापुराण के अनुसार जब भोलेशंकर और माता पार्वती अगस्त मुनि से कथा सुनकर वापस आ रहे थे तब उनदोनों ने देखा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम माता जानकी के वियोग में यहां-वहां भटक रहे हैं। उस वक्त माता पार्वती के मन में भगवान श्री राम की परीक्षा लेने का विचार आया। हालांकि, उसी वक्त बाबा भोलेनाथ ने आराध्यदेव श्रीराम को प्रणाम किया। बाबा भोलेनाथ से अनुमति लेकर माता पार्वती प्रभु श्रीराम की परीक्षा लेने पृथ्वीलोक पहुंची लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने माता पार्वती को पहचान लिया। भगवान श्रीराम मे प्रणाम कर माता पार्वती से पूछा, माता आप यहां हैं, भोलेनाथ कहां हैं?

happy mahashivratri, happy mahashivratri 2017, shivratri, shivaratri 2017
Shivratri 2017: पूरे भारत में शिवरात्रि का पर्व काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है।

शिवपुराण की कथा के अनुसार माता पार्वती ने बाबा भोलेनाथ से इस बात को छुपा लिया था कि प्रभु श्रीराम ने उन्हें पहचान लिया था। माता पार्वती ने शिवजी से झूठ बोला कि भगवान श्रीराम ने उन्हें नहीं पहचाना। कहा जाता है कि इसके तुरंत बाद बाबा भोलेनाथ ने ध्यान लगाकर पता लगा लिया कि श्रीराम ने उन्हें पहचान कर ही माता कहकर संबोधित किया था और उनके बारे में भी पूछा था। माता पार्वती के इस एक झूठ से क्रोधित होकर शिवशंकर ने तुरंत पार्वती का त्याग कर दिया।

हालांकि, एक मान्यता यह भी है कि जब बाबा भोलेनाथ ने ध्यान लगाया तो उन्हें यह पता चला कि उनके आराध्य देव भगवान श्रीराम ने पार्वती को माता पार्वती कहकर संबोधित किया था। इस लिहाज से बाबा भोलेनाथ ने अपना आराध्यदेव की माता अर्थात पार्वती का पत्नी रूप से त्याग कर दिया।