आज यानी 28 जनवरी को महाकुंभ का 16वां दिन है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से सबसे बड़े धार्मिक संगम महाकुंभ (Maha Kumbh Mela 2025) का आयोजन किया जा रहा है, जो 26 फरवरी तक जारी रहेगा। वहीं, आज 16वें दिन तक करीब 15 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) से पहले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। अब, अगर आप भी महाकुंभ जाने का सोच रहे हैं, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए है।

अगर आप महाकुंभ में स्नान करने की योजना बना रहे हैं, तो इस पवित्र अवसर पर आप शहर की कुछ अन्य खूबसूरत और ऐतिहासिक जगहों की सैर भी कर सकते हैं। प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है। ऐसे में यहां हम आपको 6 ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप अपनी यात्रा में शामिल कर सकते हैं-

लेटे हनुमान मंदिर (Lete Hanuman Ji Mandir)

लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है लेटे हनुमान मंदिर का। संगम क्षेत्र से करीब 500 मिटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर भगवान हनुमान की लेटी हुई मुद्रा के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर 600-700 वर्ष पुराना माना जाता है। इससे अलग मान्यताओं के अनुसार, संगम स्‍नान के बाद यहां दर्शन नहीं किए, तो स्‍नान अधूरा माना जाता है। ऐसे में स्नान के बाद आप लेटे हनुमान मंदिर जाकर दर्शन कर सकते हैं।

वेणी माधव मंदिर (Veni Madhav Mandir)

संगम से 2.1 किमी दूर दारागंज क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यहां भगवान वेणी माधव चतुर्भुज स्वरूप में शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए विराजमान हैं।

नाग वासुकी मंदिर (Nag Vasuki Mandir)

संगम से लगभग 3.4 किलोमीटर दूर दारागंज में गंगा के तट पर स्थित यह मंदिर नागों के राजा वासुकी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज की कोई भी यात्रा यहां पूजा किए बिना पूरी नहीं होती। नाग वासुकी मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व ब्रह्मा के मानस पुत्र ने की थी। ऐसे में स्नान के बाद आप इस मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। मंदिर में अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जो इसके समृद्ध पौराणिक महत्व को दर्शाती हैं।

अक्षयवट (Akshayavat)

माना जाता है कि भारत में चार पौराणिक वट वृक्ष हैं। इनमें गृद्धवट-सोरों शूकरक्षेत्र, अक्षयवट- प्रयाग, सिद्धवट- उज्जैन और वंशीवट- वृंदावन शामिल हैं। पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि जब प्रलय के समय जब समूची पृथ्वी डूब जाएगी, तब वट का एक वृक्ष बचेगा, वही अक्षयवट है। इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि अक्षयवट के किसी एक पत्ते पर ईश्वर बाल रूप में रहकर सृष्टि को देखते हैं। ऐसे में स्नान के बाद आप अकबर के किले में स्थित अक्षयवट के दर्शन कर सकते हैं।

आनंद भवन (Anand Bhawan)

नेहरू परिवार का यह ऐतिहासिक निवास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र रहा है। अब इसे संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जहां आप उस दौर की महत्वपूर्ण वस्तुओं और दस्तावेजों को देख सकते हैं।

चंद्रशेखर आजाद पार्क (Amar Shaheed Chandrashekhar Azad Park)

चंद्रशेखर आजाद पार्क वो स्थान है जहां स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। पार्क के अंदर उनकी प्रतिमा और स्मारक स्थित हैं, जो देशभक्ति की भावना को जागृत करते हैं। ऐसे में आप इस जगह का रुख भी कर सकते हैं।

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