दिवंगत माधव राव सिंधिया और विजयाराजे सिंधिया के बीच तल्खियां बढ़ती चली गई थीं। विजयाराजे जनसंघ की बड़ी नेता थीं। जबकि माधव राव इसकी विरोधी कांग्रेस के साथ थे। इसके अलावा राजमाता विजयाराजे सिंधिया अपने राजनीतिक सलाहकार सरदार बाल आंग्रे पर भी काफी विश्वास करती थीं जो माधव राव को बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

एक बार तो बाल आंग्रे की पत्नी महल की कुछ कीमती चीजें लेकर गई थीं, जिसे लेने के लिए माधव राव ने अपने लोगों को भेजा तो उनके ऊपर रॉटविलर कुत्ते छुड़वा दिए गए थे। ‘बीबीसी’ के मुताबिक, इमरजेंसी के दौरान विजयाराजे सिंधिया को जेल में बंद कर दिया गया था तो वहीं माधव राव सिंधिया नेपाल चले गए थे। इस दौरान जयविलास महल में कोई नहीं था तो पास में हिरण वन महल में आकर आंग्रे का परिवार रहने लगा था।

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई अपनी किताब ‘द हाउस ऑफ सिंधियाज: ए सागा ऑफ पावर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रिग’ में लिखते हैं, ‘आंग्रे की पत्नी मनु जयविलास महल में गईं और वहां से सोने की पर्त चढ़े नल, झाड़फानूस और कालीनें निकाल लाईं और उन्हें अपने घर में सजा लिया था। बाद में जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो माधव राव सिंधिया ने इन सभी चीजों को वापस लेने का प्रयास किया था।’

आंग्रे पर क्या बोले थे सिंधिया: राशिद किदवई आगे लिखते हैं, एक पारिवारिक सूत्र ने मुझे बताया कि जब माधव राव सिंधिया के लोग इन चीजों को लेने के लिए हिरण वन महल में गए तो आंग्रे के लोगों ने उनपर अपने रॉटविलर कुत्ते छोड़ दिए थे। माधव राव के लोगों ने प्रतिक्रिया में एक कुत्ते को गोली से उड़ा दिया था।’ बता दें, सरदार बाल आंग्रे भले ही विजयाराजे सिंधिया के राजनीतिक सलाहकार थे, लेकिन वह कई अहम फैसलों में भी दखलअंदाजी करते थे।

माधव राव सिंधिया को बाल आंग्रे की दखलअंदाजी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। किदवई लिखते हैं, देखते ही देखते आंग्रे ऐसे शख्स बन गए जो मां और बेटे के बीच में खड़े हो गए थे। माधव राव ने तो यहां तक कह दिया था कि आंग्रे का उनकी मां के ऊपर बहुत गहरा प्रभाव है।