कुछ महीनों पहले सोशल मीडिया की दुनिया में उस वक्‍त भूचाल आ गया जब स्‍वीडन के हेल्‍थ मिनिस्‍टर गैबरियल विकस्‍टॉर्म से एक शख्‍स ने टि्वटर पर अपने पड़ोसियों की शिकायत की थी। उस शख्‍स का कहना था कि उसके पड़ोसी शारीरिक संबंध बनाते वक्‍त आवाजें करते हैं। हेल्‍थ मिनिस्‍टर ने कहा था, ‘ मुझे लगता है कि यह उनके (पड़ोसियों) लिए अच्‍छा है। यह उनके भले और जनता की सेहत के लिए भी ठीक है।’ लेकिन इस तरह का मुखर सेक्‍स किसी भी तरह से अच्‍छा कैसे हो सकता है? साइंस का इसके बारे में क्‍या कहना है? यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के रिसर्चरों की एक स्‍टडी अर्काइव्‍स ऑफ सेक्‍शुअल बिहेवियर में छपी है। इसके मुताबिक, ज्‍यादा आनंद की अनुभूति और संभोग सुख को जाहिर करने की प्रवृत्‍त‍ि में सीधा रिश्‍ता है। यह आपकी सेहत के लिए अच्‍छा है।

स्‍टडी में हिस्‍सा लेने वाले 92 पर्सेंट लोगों ने कहा कि रतिक्रिया के दौरान आवाजें करना साथी के अंदर कॉन्‍फ‍िडेंस पैदा करता है। यह भी पाया गया कि महिलाएं संबंध बनाते वक्‍त आवाजें निकालकर अपने पार्टनर का उत्‍साह बढ़ाती हैं। दरअसल, ऐसा कई स्‍टडीज में जाहिर हो चुका है कि जो महिलाएं सेक्‍स के दौरान मुखर होती हैं, वे अपने साथी को यह जाहिर करना चाहती हैं कि खुद के आनंद को जाहिर करने से ज्‍यादा उनके लिए चरमोत्‍कर्ष हासिल करना बेहतर है।

सायकोथेरेपिस्‍ट डॉ इयान कर्नर के मुताबिक, ‘जो कपल्‍स शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक दूसरे से संवाद करते हैं, वे ज्‍यादा स्‍वस्‍थ और खुशहाल होते हैं। संबंध बनाने के दौरान तेज आवाजें करना इस संवाद का हिस्‍सा हो सकता है। यह अपने पार्टनर को यह बताने का तरीका है कि क्‍या अच्‍छा महसूस होता है और क्‍या नहीं?’

इससे एक बात और पता चलती है। महिलाएं संबंध बनाने के दौरान पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा ‘मुखर’ होती हैं। यह सही है कि महिलाएं अपने साथी की आवाजों से कामोत्तेजित हो जाती हैं। कुछ स्‍टडीज में यह पाया गया कि पुरुष महिलाओं के मुकाबले 94 फीसदी कम आवाजें करते हैं। हालांकि, क्‍या यह मानव प्रवृत्‍त‍ि जैविक विकास की प्रक्रिया से जुड़ी हुई है अथवा यह सामाजिक माहौल का असर है कि मेनस्‍ट्रीम मीडिया और पोर्न के जरिए मुखर होने के लिए प्रेरित करता है।

इंडियाना यूनिवर्सिटी में सेक्‍शुअल बिहेवियर पर रिसर्च कर रहीं क्रिस्‍टन मार्क कहती हैं, ‘मेनस्‍ट्रीम मीडिया के जरिए हमारे सामने ऐसी तस्‍वीरों की भरमार है, जो हमें यह बताती हैं कि आहें भरना चरमोत्‍कर्ष और यौन सुख से जुड़ा हुआ है। ऐसे में झूठमूठ में आवाजें करना इस मामले में होशियारी है क्‍योंकि पुरुष हमेशा से इसे चरमोत्‍कर्ष से जोड़ते आए हैं।’

सेक्‍स एक्‍सपर्ट ट्रेसी कॉक्‍स का कहना है कि बेडरूम में महिलाओं पर इस बात का दबाव होता है कि वे मुखर हों या यह जाहिर करें कि उन्‍हें आनंद आ रहा है। उन्‍हें इस बात पर संशय है कि संबंध बनाने के दौरान ज्‍यादा शोर बेहतर सेक्‍स की निशानी है।

हालांकि, हमें यह पता है कि सिर्फ महिलाएं ही ऐसी नहीं हैं जो सेक्‍स के दौरान मुखर होती हैं। जानवरों पर हुए रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि मादा लंगूर में भी ऐसी ही प्रवृत्‍त‍ि पाई जाती है। इससे ये संकेत मिलता है कि मुखर सेक्‍स के पीछे सामाजिक असर की ज्‍यादा कोई भूमिका नहीं होती। ऐसे में यह कोई मायने नहीं रखता कि आप कैसे संबंध बनाते हैं या इस दौरान कितने मुखर होते हैं। यह सब कुछ मानव के अनुभवों का हिस्‍सा है। इसलिए आगे बढ़ें, संबंध बनाने के दौरान मुखर बनें। यह आपकी सेहत के लिए अच्‍छा है।