Krishna Janmashtami 2024 Date And Time in India: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का बेहद महत्व है। माना जाता है भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात के समय श्री कृष्ण ने कंस का अंत करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। तभी से इस खास तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
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भगवान के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में अलग ही उत्साह और धूम देखने को मिलती है। इस दिन भक्त सच्चे मन से भगवान की पूजा-अर्चना कर उनके नाम का उपवास रखते हैं, रात्रि के समय भगवान को स्नान आदि करा 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसके बाद श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा का आयोजनल भी किया जाता है।
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हालांकि, इस बार जन्माष्टमी की तिथि क्या है, इस बात को लेकर अधिकतर लोग कंफ्यूज हैं। इसी कड़ी में यहां हम आपको इस सवाल का जवाब देने वाले हैं, साथ ही जानेंगे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान के भोग बनाने के तरीके से लेकर और भी कई जरूरी बातें-
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धन्य हुई ये ब्रजभूमि सारी,
त्रिलोकी नाथ जन्मे कृष्णमुरारी,
ओ सारी नगरी है आज हरषाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई,
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई ॥
अन्न धन लुटावे बाबा,
पायल और छल्ला,
लड्डूवा बटें और पेड़ा,
बर्फी रसगुल्ला,
मैया तो फूली ना समाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई,
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई ॥
दाऊ लुटावे सोना,
चांदी और जेवर,
छाया आनंद आज,
खुशियां है घर घर,
वो देख देख हसते है कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई,
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई ॥
जन्मे है कृष्ण कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई,
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई,
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई,
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई,
गोकुल में देखो बाजे बधाई ॥
चोरी चोरी माखन खाइ गयो रे वो तो छोरो ग्वाल को,
मैंने उसे पूछा के नाम तेरा क्या है,
कृष्णा कन्हैया बताई गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को!
मैंने उसे पूछा के गाँव तेरा क्या है,
गोकुल मथुरा बताए गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
मैंने उसे पूछा माँ बाप तेरा कौन है,
नन्द यशोदा बताए गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
मैंने उसे पूछा के खाना तेरा क्या है,
माखन मिश्री बताए गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
मैंने उसे पूछा श्रृंगार तेरा क्या है,
मोतियन की माला बताए गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
मैंने उसे पूछा के काम तेरा क्या है,
गैया चराना बताई गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
मैंने उसे पूछा के प्यारी तेरी कौन है,
राधा रानी जी बताई गयो रे, वो तो छोरो ग्वाल को !
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
ना मैं जानू भजन,साधना श्री राधे,ना मैं जानू भजन,साधना श्री राधे,मुझे अपना बना लीजिये श्री राधे,करुणामयी कृपा कीजिए श्री राधे,चरणों से लगा लीजिये श्री राधे,जय राधा राधा श्री राधा,जय राधा राधा श्री राधा !!
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर गाएं ये सुंदर भजन
Govind Chale Aao Gopal Chale Aao, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर याद करें भजन
गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ
मेरे मुरलीधर माधव, नंदलाल चले आओ।
आंखों में बसे हो तुम, धड़कन में धड़कते हो,
कुछ ऐसा करो मोहन, स्वासों में समां जाओ,
गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ !!
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की,
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की,
हे आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
यशोमती मैया से बोले नंदलाला..... यहां से याद करें जन्माष्टमी के लिए ये फेमस भजन
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला,
बोली मुस्काती मैया ललन को बताया,
काली अंधियरी आधी रात में तू आया,
लाडला कंहैया मेरा काली कमली वाला,
इसी लिए काला...........
बोली मुस्काती मैया सुन मेरे प्यारे,
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे,
काले नैनों वाली ने ऐसा जादू डाला,
इसी लिए काला...
इतने में राधा प्यारी आई इठलाती,
मैं ने न जादू डाला बोली बलखाती,
मैया कन्हैया तेरा जग से निराला ,
इसी लिए काला.......
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से,
मैया करादे मेरो ब्याह,
उम्र तेरी छोटी है नजर तेरी खोटी है,
कैसे करा दु तेरो ब्याह…
जो नही ब्याह कराए, तेरी गैया नही चराऊ,
आज के बाद मेरी मैया, तेरी देहली पर ना आऊ,
आऐगा, रे मजा, रे मजा, अब जीत हार का,
राधिका गोरी…
चंदन की चौकी पर, मैया तुझको बिठाऊं,
अपनी राधा से मैं, चरण तेरे दबवाऊ,
भोजन मै बनवाऊंगा, बनवाऊंगा, छप्पन प्रकार के,
राधिका गोरी…
छोटी सी दुल्हनिया, जब अंगना में डोल्ले गी,
तेरे सामने मैया, वो घूंघट ना खोलेगी,
दाऊ से जा कहो, जा कहो, बैठेंगे द्वार पे,
राधिका गोरी ……
सुन बातें कान्हा की, मैया बैठी मुस्काए,
लेके बलइया मैया, हिवडे से अपने लगाए,
नजर कहि लग जाए, ना लग जाए, ना मेरे लाल को,
राधिका गोरी ……
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
मैं हूं तेरी प्रेम दिवानी
मैं हूं तेरी प्रेम दिवानी
मुझको तु पहचान
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
जब से तुम संग मैंने अपने
नैना जोड़ लिये हैं
क्या मैया क्या बाबुल
सबसे रिश्ते तोड़ लिए हैं
तेरे मिलन को व्याकुल हैं
ये कबसे मेरे प्राण
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
सागर से भी गहरी
मेरे प्रेम की गहराई
लोक लाज कुल की मरियादा
सज कर मैं तो आई
मेरी प्रीती से ओ निर्मोही
अब ना बनो अनजान
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
दुनिया रूठी बाबुल रूठा
को होना सुनत हमारे
तेरे प्रीत कारन हु मैं
सब जग मेरा बैरी
किस की शरण मैं जाऊ गोरी
तू ही बता दुखीआ
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
मैं हूं तेरी प्रेम दिवानी
मैं हूं तेरी प्रेम दिवानी
मुझको तुम पहचान
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली की
मधुर सुना दो तान
जन्माष्टमी के खास मौके पर आप अपनों को भगवान के जन्मोत्सव के बधाई संदेश भेजकर भी खुशी जाहिर करते हैं।

इन मैसेज के साथ दें कृष्ण जन्मोत्सव की बधाई-
जन्माष्टमी के मौके पर लड्डू गोपाल को भोग लगाने के लिए कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। हालांकि, माना जाता है कि इन तमाम व्यंजनों में धनिये की पंजीरी, श्रीखंड, माखन-मिश्री, मावे के पेड़े, दूध और शहद का भोग श्री कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय है।
माना जाता है कि जन्माष्टमी की पूजा पंचामृत के बिना अधूरी है। जन्माष्टमी के दिन आधी रात्रि श्री कृष्ण के जन्म के समय उनकी प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बाटा जाता है।
पंचांग के अनुसार, सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 36 मिनट तक अमृत चौघड़िया रहने वाला है। ये योग पूजा के लिए शुभ है। इसके बाद अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 48 मिनट तक है।
निशीथ काल में भी आप पूजा कर सकते हैं, जो रात में 12 बजकर 1 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक है।
जन्माष्टमी के मौके पर महिलाएं और लड़कियां सुंदर मेहंदी डिजाइन से अपनी हथेलियों को सजाती हैं।
मोर पंख-बांसुरी और माखन की मटकी, यहां से देखकर जन्माष्टमी पर लगाएं हाथों में मेहंदी
जन्माष्टमी के मौके पर आप घर पर मथुरा के फेमस पेड़े बना सकते हैं।
यहां क्लिक कर पढ़ें मथुरा के फेमस पेड़े बनाने की आसान रेसिपी-
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को घर लाना कितना शुभ है? विराजित करने की सही विधि और नियम क्या है?
इस बार जन्माष्टमी की दो अलग-अलग तिथि पड़ रही हैं। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि वृंदावन में मंगलवार, 27 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्मोत्सव से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम कब से शुरू हो रहे हैं, कृष्ण जन्मस्थान मंदिर कब से कब तक खुला रहेगा?
गौरतलब है कि जन्माष्टमी के मौके पर कई जगहों पर दही हांडी का आयोजन किया जाता है। इनमें भी भारत की कुछ जगहों पर बेहद खास अंदाज में दही हांडी सेलिब्रेशन होता है। अगर आप भी इस जश्न में शामिल होना चाहते हैं, तो आप दिल्ली, मुंबई और वृंदावन का रुख कर सकते हैं।
इस बार जन्माष्टमी पर 3 दिन का लॉन्ग वीकेंड बन रहा है। ऐसे में आप कहीं जाने की प्लानिंग कर सकते हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर आप भगवान कृष्ण के पसंद के खूबसूरत कपड़ों को ट्राई सकते हैं।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी पर 56 भोग चढ़ाया जाता है लेकिन आखिर इस भोग में कौन-कौन सी चीजें होती हैं?
इस्कॉन मंदिर में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को ही मनाई जाएगी।
गौरतलब है कि जन्माष्टमी के मौके पर कृष्ण जी को झूला झुलाने का बेहद महत्व है। ऐसे में आप चाहें तो घर पर ही बेहद आसानी से खूबसूरत झूला बना सकते हैं। इसके लिए यहां हम आपको दो आसान तरीके बता रहे हैं।
श्रीकृष्ण की लीलास्थली कहे जाने वाले वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर विशेष आयोजन किया जाता है। वहीं, क्योंकि वृंदावन में 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जा रही है, ऐसे में यहां आयोजन भी इसी तारीख को होगा।
बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का मुख्स आयोजन भगवान की जन्मस्थली मथुरा में ही होगा। यहां 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी और हर साल की तरह आधी रात के समय पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी।
बता दें कि इस साल ब्रजमंडल में जन्माष्टमी का पर्व दो अलग-अलग दिन मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि वृंदावन में मंगलवार, 27 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
इस साल मथुरा और वृंदावन में अलग-अलग तारीख को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है।