Kolkata Durga puja 2024: नवरात्र शुरू होने जा रहा है। जहां उत्तर भारत में हम इसे सात्विक तरीके से मनाते हैं वहीं बंगाल में इसे धूम धाम से मनाया जाता है। दुनियाभर से लोग बंगाल दुर्गा पूजा देखने आते हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा लोग दक्षिणेश्वर काली मंदिर जरूर जाते हैं। अगर आप भी इस बार बंगाल दुर्गा पूजा देखने की सोच रहे हैं तो इस काली मंदिर में जरूर घूमकर आएं। ये बहुत खास है और भारत के दो प्रमुख लोग इससे जुड़े हुए हैं। तो आइए जानते हैं दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kalibari) कैसे पहुंचे और यहां क्या है खास।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर कहां स्थित है?

कोलकाता के दक्षिणेश्वर में हुगली नदी के किनारे स्थित है ये मंदिर। इस मंदिर में मां भवतारिणी की मूर्ति स्थापित है जिन्हें मां काली का रुप माना जाता है। कहानी है कि 1847 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस मंदिर का निमार्ण किया गया था। इस मंदिर को एक रानी ने बनवाया था जिनका नाम रानी रासमनी था। ऐसा कहते है कि मां काली ने उनके सपने में आकर उन्‍हें कहीं नहीं जाने और यही मंदिर बनवाने को कहा था और फिर उन्होंने इस मंदिर को बनाया।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

25 एकड़ में फैले इस मंदिर में मुख्य पुजारी थे प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक थे। यही स्वामी विवेकानंद के गुरु भी हैं। माना जाता है कि विवेकानंद को खुद यहां मां काली के दर्शन हुए थे। माना जाता है कि रामकृष्ण परमहंस मां को रोज अपने हाथ से खाना खिलाते थे और मां काली उनसे रोज मिलने आया करती थीं।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर कैसे पहुंचे?

दक्षिणेश्वर काली मंदिर पहुंचने के लिए आपको करना ये है कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर कैसे पहुंचे
-सबसे पहले आपको हावड़ा से उत्तरपाड़ा के लिए लोकल ट्रेन लें और फिर नाव द्वारा नदी के उस पार जाएं, जहां काली मंदिर है।
-बता दें कि दक्षिणेश्वर, हावड़ा से लगभग 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
-आपको यहां से शारदा मठ चलने को कहना है।

तो दुर्गा पूजा पर आप यहां जा सकते हैं और असली बंगाल का रंग देख सकते हैं। इसके अलावा आप पूरे शहर में घूम-घूमकर तमाम देवी पंडालों के दर्शन कर सकते हैं।