राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अब राष्ट्रपति भवन में अपने कार्यालय को स्थापित करने में लगी हुई हैं। अधिकारियों की नियुक्ति जारी है। कोई भी व्यक्ति जब पीएम, सीएम या राष्ट्रपति आदि पदों पर पहुंचता है तो अपने साथ काम कर चुके विश्वसनीय अधिकारियों को ऑफिस में जगह देता है। ऐसे में अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उड़ीसा के एक अधिकारी को अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया है। 

कौन हैं राष्ट्रपति के अतिरिक्त सचिव बिजय नायक?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के पूर्व नौकरशाह बिजय नायक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अतिरिक्त सचिव, प्रेस नियुक्त किया गया है। नायक पुरी के साखीगोपाल में उड़िया विश्वविद्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर तैनात थे, जहां से उन्होंने हाल ही में इस्तीफा दिया है। बिजय नायक के पास लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वह अपनी सेवानिवृत्ति से पहले ओडिशा सरकार के संस्कृति निदेशक थे।

पहले भी द्रौपदी मुर्मू के साथ कर चुके हैं काम

बिजय नायक, 2000 से 2002 तक जब द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में वाणिज्य और परिवहन और मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री थीं तो वह मुर्मू के निजी सचिव के तौर पर कार्य कर रहे थे। इतना ही नहीं, नायक ओडिशा के  एक प्रतिष्ठित साहित्यकार भी हैं। वे पिछले 20 वर्षों से साहित्यिक पत्रिका ‘कहानी’ के संपादक हैं।अपने कॉलेज के दिनों में, वह भद्रक कॉलेज छात्र संघ और उत्कल विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे।

द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में मिली जीत

देश 15वें राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने हाल में कार्यभार संभाला है। यशवंत सिन्हा, विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार थे लेकिन विपक्ष के वोटरों ने क्रॉस वोटिंग की और अनुमान से अधिक वोट पाकर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति का चुनाव जीतने में कामयाब रहीं और मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं।

द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर एनडीए ने विपक्ष में किस तरफ सेंधमारी की है, उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में कुल 64 फीसदी वोट मिले। जबकि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में 36 फीसदी वोट आए। वोटिंग के दौरान 17 सांसदों और 126 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। जिससे द्रौपदी मुर्मू के जीत का अंतर और बड़ा हुआ और यशवंत सिन्हा की हार और बड़ी हुई।