नये साल की शुरुआत होते ही लोग अपने पुराने कैलेंडर बदलकर नया कैलेंडर लगा देते हैं। साल के खास त्यौहार, जन्मदिन, पुण्यतिथि आदि के बारे में जानने के लिए हम सब कैलेंडर का उपयोग करते हैं और जिस कैलेंडर को हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं उसको ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं हर देश का अपना अलग राष्ट्रीय कैलेंडर भी होता है। जैसे भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है। आपने इस कैलेंडर के बारे में सुना तो होगा लेकिन बहुत कम लोग इस कैलेंडर के बारे में अच्छे से जानते हैं। आइए जानते हैं इस कैलेंडर में क्या खास है और कैसे यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होता है-
भारत में कैलेंडर का इतिहास
भारत में कुल 12 कैलेंडर हैं, जिनमें से सबसे लोकप्रिय हैं शक संवत और संवत विक्रम। सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को संवत विक्रम का पिता माना जाता है। यह संवत 57 ईसा पूर्व में उज्जयिनी में शकों की हार के उपलक्ष्य में शुरू किया गया था। इस कैलेंडर में समय की गणना सूर्य और चंद्रमा के आधार पर की जाती है। इस कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि से नए साल की शुरुआत होती है।
किस पर आधारित है भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर
बता दें कि भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर शक सवंत पर आधारित है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होता है। जिस प्रकार ग्रेगोरियन कैलेंडर में साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय कैलेंडर में नये साल की शुरुआत चैत्र के महीने से यानी कि मार्च-अप्रैल से होती है। बता दें कि 22 मार्च 1957 में इस कैलेंडर को राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में अपनाया गया था।
इसके अलावा इस कैलेंडर में भी ग्रेगोरियन कैलेंडर के जैसे 12 महीने ही होते हैं और अंग्रेजी कैलेंडर के जैसे ही हर महीने में 30 दिन होते हैं। लेकिन राष्ट्रीय कैलेंडर 15-15 दिन के हिसाब से 2 भागों में बटां होता है जिसमें सप्तमी, नवमी जैसी तिथियां शामिल होती हैं।
शक संवत – शक संवत भारत सरकार का राष्ट्रीय युग है। यह संवत 78 ई. में प्रारंभ हुआ। 22 मार्च 1957 को भारत सरकार ने मामूली बदलाव करके शक संवत को राष्ट्रीय युग के रूप में अपनाया। इस संवत के अनुसार भी पहला महीना चैत्र है और आखिरी महीना फाल्गुन है।
राष्ट्रीय कैलेंडर किसने डिजाइन किया था ?
भारत सरकार ने 1952 में राष्ट्रीय कैलेंडर के लिए एक कमेटी का गठन किया था; ताकि इस कमेटी की मदद से एक राष्ट्रीय कैलेंडर बनाया जा सके। वहीं बात अगर राष्ट्रीय कैलेंडर के डिजाइन की जाए तो यह कैलेंडर करंदीकर, गोरख प्रसाद, आर. वी. वैद्य और एन. सी. लाहिड़ी ने इस कैलेंडर को डिजाइन किया था। इसके अलावा यह कैलेंडर वैज्ञानिक अध्ययन और सटीक डाटा की मदद से बनाया गया था।
