Bhagavad Gita Updesh: जिंदगी में हर किसी के साथ कभी न कभी ऐसा वक्त जरूर आता है जब इंसान हर तरफ से हार जाता है। ऐसे में न केवल उसका हौसला टूटने लगता है बल्कि निराशा उसे हर तरफ से घेर लेती है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आना आम बात है। लेकिन जिंदगी को जीने के लिए हार के बाद भी कोशिश करने से सफलता मिलती है।
लेकिन जब हमारे रास्ते हर तरफ से बंद होने लगते हैं तब हमें कुछ भी समझ नहीं आता है। अगर आप या आपका कोई परिचित इसी दौर से गुजर रहा है तो जन्माष्टमी पर आपको भगवान श्रीकृष्ण की कहीं कुछ बातों को पढ़ना और याद करना चाहिए। इससे आपको फिर से जिंदगी की जंग लड़ने कि हिम्मत मिलेगी।
गीता उपदेश 1- जीवन में जब आप हर तरफ से हार जाएं तो एक बात याद रखें कि अगर परमात्मा तुम्हें कष्ट के पास ले आया है, तो अवश्य ही वो तुम्हें कष्ट के पार भी ले जाएगा।
गीता उपदेश 2– आपको एक बात याद करनी है कि इस पृथ्वी लोक पर कोई साथ नहीं देता, यहां तुम्हें खुद ही लड़ना है और खुद ही समझना भी है।
गीता उपदेश 3- परेशानियों से तंग आ गए हैं तब सोचें कि तनाव से केवल समस्याएं जन्म ले सकती हैं, समाधान खोजने हैं तो मुस्कुराना ही पड़ेगा।
गीता उपदेश 4- भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार जो हो रहा है उसे होने दो तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी सोच से बेहतर तुम्हारे लिए सोच रखा है।
गीता उपदेश 5- जीवन में हताश होने की बजाए सोचे कि यदि परिस्थितियां आपके हक में नहीं है, तो विश्वास कीजिए कुछ बेहतर आपकी तलाश में है।
गीता उपदेश 6– आपको एक चीज कंठस्त करनी है कि निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को न छोड़े क्योंकि, लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।
गीता उपदेश 7- जीवन में जब हारा हुआ महसूस करें तब याद करें कि व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
गीता उपदेश 8- जो भी हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो भी होगा अच्छा होगा, भविष्य के बारे में चिंता मत करो। वर्तमान में जियो ।
गीता उपदेश 9- किसी भी मनुष्य की परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं। परिस्थितियां हमेशा बदलती हैं। इसलिए मनुष्य को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
गीता उपदेश 10- व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। जो व्यक्ति अपने गुणों और कमियों को जान लेता है वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है।
