ऑन लाइन की लत आपकी सेहत चौपट कर सकती है। एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि जो लोग जरूरत से ज्यादा वक्त इंटरनेट पर बिताते हैं, उन्हें सर्दी, मौसमी बुखार की मार झेलनी पड़ सकती है। ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इंटरनेट के बेजा असर पर पहली बार कोई नतीजा सामने आया हो। कई देश युवाओं-बच्चों में इंटरनेट के प्रतिबढ़ती दीवानगी को लेकर पहले ही चिंता जता चुके हैं।

फिलहाल स्वानसी और मिलान विश्वविद्यालयों की ओर से कराए गए अध्ययन में पाया गया कि जो लोग इंटरनेट से थोड़ा परहेज रखते हैं, या कम वक्त गुजारते हैं, उन्हें फ्लू, सर्दी या मौसमी ज्वर का संक्रमण उन लोगों से कम होता है, जो इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताते हैं। इन लोगों पर बीमारियां फैलाने वाले जीवाणुओं के हमले की आशंका ज्यादा रहती है।

अध्ययन में अठारह से 101 साल की उम्र तक के 500 लोगों को शामिल किया गया। इनकी शारीरिक दशा और आॅनलाइन आदत पर नजर रखी गई। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने जरूरत से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करने की समस्या बताई, उन्होंने यह भी बताया कि इस लत के कारण उन्हें फ्लू और सर्दी जैसी समस्या ने घेर रखा है। उनके अनुभव से यह भी पता चला कि इंटरनेट कम इस्तेमाल करने वालों की तुलना में इन बीमारियों ने उन्हें ज्यादा तंग किया है।

इस बाबत जमा किए गए 40 फीसद नमूनों में इंटरनेट लत का हल्का या काफी ज्यादा स्तर देखा गया। अध्ययन के इस आंकड़े में पुरुष और महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं देखा गया। इंटरनेट का अत्यधिक इस्तेमाल करने वालों में (कम लती लोगों की तुलना में) तीस फीसद से ज्यादा सर्दी और फ्लू के लक्षण देखे गए।

इससे पहले हुए शोध में जो लोग इंटरनेट से जरूरत से ज्यादा चिपके रहते हैं, उन्हें निद्रा में गड़बड़ी की शिकायत ज्यादा रहती है। उनके खानपान की आदत भी बिगड़ जाती है। वे कम वर्जिश करते हैं। साथ ही वे सिगरेट पीने और शराबखोरी की आदत पाल लेते हैं। ऐसे लोगों की आदतें उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालती है। अध्ययन में कहा गया है कि ये आदतें एक तरह से बीमारियों को बुलाती हैं।

स्वानसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फिल रीड ने बताया कि अध्ययन से पता चला कि इंटरनेट का लोगों पर असर अन्य दूसरे मामलों से अलग थे, जैसे अवसाद, नींद में गड़बड़ी और एकाकीपन का नाता इंटरनेट के बेहद इस्तेमाल और खराब सेहत से जुड़ा देखा गया।

अध्ययन में बताया गया कि जिन लोगों को इंटरनेट की घोर आदत पड़ गई है, वे नेट से अलग होते ही काफी तनाव की जकड़ में आ जाते हैं और तनाव-राहत का यह चक्र कोर्टिसाल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ा देता है। इसका सीधा असर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। रीड का दावा है कि ऐसा भी हुआ है जिन्होंने इंटरनेट पर अकेले काफी वक्त बिताया, उनकी प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर पड़ गई। लोगों से और उनके कीटाणुओं से ज्यादा संपर्क न होने के कारण ऐसा हुआ।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग इंटरनेट का दिन में छह घंटे इस्तेमाल कर रहे थे, वे ज्यादातर सोशल साइटों पर रहे। नमूनों मे पाया गया कि काफी लोग ऐसे थे जिन्होंने दिन में दस घंटे तक इंटरनेट से साथ निभाया। अध्ययन के अनुसार, महिलाओं और पुरुषों में इंटरनेट इस्तेमाल करने के तरीके में भी फर्क देखा गया। मर्दों की तुलना में महिलाओं ने सोशल मीडिया और खरीदारी के लिए इंटरनेट का प्रयोग ज्यादा किया, या करती हैं। औरतों की तुलना में पुरुषों ने गेम खेलने और पोर्नोग्राफी के लिए इंटरनेट का लुत्फ उठाया।

मिलान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रोबेर्टो ट्रूजोली ने कहा कि लैंगिक रूढ़िवादिता से अलग, इंटरनेट व्यवहार के नतीजे, प्रतिरोधक क्षमता पर इसके प्रभाव से जुड़े नही थे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं पता लगता कि आप इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं। अगर आप इसका प्रयोग बहुत ज्यादा करते हैं, तो आप बीमारियों के प्रति ज्यादा आशंकित हैं। हालांकि आप के बीमार होने के लिए कसूरवार कार्यप्रणाली अलग हो सकती है। यह निर्भर इस बात पर है कि आप नेट का इस्तेमाल कैसे करते हैं।