International tiger day 2025: दुनियाभर में हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है। बाघों की संख्या लगातार कम हो रही है। इसलिए उनके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। इसके साथ ही उनके बचाव के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए भी लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। आइए जानते हैं बाघ से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
कब हुई बाघ दिवस मनाने की शुरूआत
इस खास दिन को मनाने की शुरुआत साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट (Saint Petersburg Tiger Summit) के दौरान हुई थी। तभी से हर साल आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
टाइगर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
मानव फिंगरप्रिंट की तरह, प्रत्येक बाघ की धारियों का पैटर्न भी अनोखा होता है। बाघों की पहचान उनकी विशिष्ट धारियों से की जाती है।
दुनिया के 70% से अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं। वहीं, 2018 की गणना के अनुसार देश में भी सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है।
भारत से अलग बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम में बाघ पाए जाते हैं।
एक वयस्क नर बाघ का औसतन वजन 400 से 550 पाउंड यानी 180 से 250 किलोग्राम होता है। वहीं, मादा वाघ का वजन 265 से 370 पाउंड यानी 120 से 170 किलोग्राम के बीच होता है।
बाघ के बच्चों की आंखें जन्म के 6-12 दिनों के बीच खुलती हैं। इसके बाद कुछ हफ्तों तक उन्हें धुंधला दिखाई देता है और फिर जाकर चीजें साफ नजर आती हैं।
एक बाघ की दहाड़ लगभग तीन किमी दूर तक सुनी जा सकती है। एक युवा बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
बाघ अगर भरपेट खाना खा ले, तो वह 30 घंटों तक सो सकता है। बाघ अन्य जानवरों की आवाज की नकल कर सकते हैं।
बाघिन अपने कानों के पीछे के सफेद धब्बों का इस्तेमाल अपने शावकों से संवाद करने के लिए करती है। ये धब्बे शावकों के लिए एक संकेत की तरह काम करते हैं।
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