Air Pollution Can Lead To Infertility: राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्रदूषण का असर लोगों की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा माहौल लोगों की सेक्स लाइफ को प्रभावित करता है।

विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण के प्रभाव से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। प्रदूषण के कारण पुरुषों के स्पर्म काउंट भी लगातार कम हो रहे हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई तो आने वाले सालों में स्थिति और खराब होगी। इससे पुरुषों में बांझपन की समस्या काफी बढ़ जाएगी।

हवा में कई भारी तत्व हैं, जो हमारे शरीर के हार्मोन पर सीधा प्रभाव डालते हैं। बांझपन को अक्सर एक महिला के मुद्दे के रूप में देखा जाता है। लेकिन भारत में बांझपन की स्थिति पर डब्ल्यूएचओ की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सभी बांझपन के मामलों में लगभग 50% पुरुष में प्रजनन संबंधी विसंगतियों के कारण बांझपन होता है। यह अनुपात महिलाओं की तुलना में अधिक है।

प्रदूषण स्पर्म काउंट करता है कम

स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लवली जेठवानी ने जनसत्ता डॉट कॉम को बताया कि हवा की ख़राब गुणवत्ता के कारण जब हम सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर अपने साथ पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन को लेकर हमारे अंदर प्रवेश कर जाते हैं। यह पुरुष के शुक्राणुओं के लिए नुकसानदायक होते हैं। सिर्फ स्पर्म काउंट कम होने के लिए प्रदूषण ही जिम्मेदार नहीं इसके अलावा व्यक्ति को सिगेरट शराब से भी दूर रहना चाहिए।

बता दें कि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (pm2.5) अपने साथ पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन ले जाता है। इनमें लेड, कैडमियम और मरकरी होते हैं, जो हार्मोन के संतुलन को प्रभावित करते हैं और पुरुष शुक्राणु के लिए हानिकारक होते हैं। कई मामलों में प्रदूषण के कारण टेस्टोस्टेरोन या एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से लोगों की सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है। प्रदूषण शुक्राणुओं की संख्या को भी कम करता है।

कई केमिकल सेहत के लिए होते हैं हानिकारक

प्रदूषण में सांस लेने से खून में ज्यादा फ्री रेडिकल्स जमा होते हैं। यह एक स्वस्थ आदमी में भी शुक्राणु की गुणवत्ता को कम कर सकता है। प्रदूषित हवा में क्लोरीन और डीडीटी जैसे रसायन हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, ये रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन के साथ मिल जाते हैं।

महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन एक बहुत ही महत्वपूर्ण हार्मोन है। यह अंडाशय में उत्पन्न होता है और फिर रक्त के साथ मिल जाता है और शरीर के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है। एस्ट्रोजन इतना शक्तिशाली होता है कि इसकी कमी से महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। इस हार्मोन की कमी से शारीरिक संबंध भी कम हो जाते हैं। इस तरह से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन भी क्षतिग्रस्त हो जाता है।

इस तरह से रखें अपने सेहत का ख्याल

अपनी सेहत का ख्याल रखें। जितना हो सके पानी पिएं। यह श्वसन पथ और फेफड़ों में धूल को साफ करने में मदद करता है। साथ ही यदि लगातार सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रखें कि बाहर जाते समय मास्क पहनना न भूलें। साथ ही घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।