Indian Air force day 2019:आज देशभर के सभी एयरबेसों पर वायुसेना दिवस मनाया जा रहा है। हिंडन एयरेबस पर पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही हैं। एयरफोर्स भारतीय सशस्त्र सेना का अभिन्न हिस्सा है, जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। भारतीय वायुसेना का गठन 8 अक्टूबर 1932 में हुआ था। तभी से सेना के सम्मान में हर साल 8 अक्टूबर के दिन वायुसेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन सेना के जवान जमीं से लेकर आसमान में अपनी शक्ति और पराक्रम को दर्शाते हैं। देश के गणतंत्र दिवस घोषित होने से पूर्व यानी 1940 से पहले सेना को रॉयल इंडियन एयरफोर्स कहा जाता था। 1945 के युद्ध में सेना के जवानों ने महात्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में इसके आगे से रॉयल शब्द हटा दिया गया और इंडियन एयरफोर्स के नाम सेना का संबोधन शुरू हुआ।

इन ऑपरेशन का हिस्सा रह चुकी है वायुसेना 

देश के आजाद होने के बाद इंडियन एयरफोर्स पाकिस्तान से एक नहीं बल्कि चार युद्ध लड़ चुकी है। सेना ने चीन से हुए युद्ध में भी अपना अहम योगदान दिया था। इंडियन एयरफोर्स तमाम बड़े ऑपरेशन का हिस्सा रही है, जिनमें ऑपरेशन विजय (करगिल युद्ध) – गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस व ऑपरेशन पुमलाई शामिल है। ऐसें कई विवादों के अलावा भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी सक्रिय हिसा रही है।

अमेरिका, रूस, चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी सेना है भारतीय वायुसेना 

भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते हैं। वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल (ACM), एक चार स्टार कमांडर हैं और वायु सेना का नेतृत्व करते है। भारतीय वायु सेना में किसी भी समय एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में कभी नहीं होते। मौजूदा समय में एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया हैं। पिछले माह ही उन्होंने 26वें एयर चीफ के तौर पर पदभार ग्रहण किया है। उनके पहले बीएस धनोआ सेना की कमान संभाल रहे थे। सेना में एक करीब पौने दो लाख जवान और 1400 के करीब लड़ाकू विमान और 60 से ज्यादा एयरबेस हैं। देश की वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स में शुमार है। भारतीय वायुसेना के मिशन, सशस्त्र बल अधिनियम 1947 के द्वारा परिभाषित किया गया है।

युद्ध के अलावा इन हालातों में देशवासियों का साथ देती है सेना

सेना दुश्मन देशों से युद्ध के अलावा देश में आई बाढ़ जैसे हालातों में भी राहत बचाव कार्यक्रमों मे अपना योगदान देती है। सेना के जवान हमेशा से अपनी जान जोखिम में डालकर आपदा में फंसे लोगों को बाहर निकालती है और उन्हें राहत शिविरों में सुरक्षित पहुंचाती है। साल 2019 में देश का करीब आधा हिस्सा बाढ़ से ग्रसित रहा, तब देश की वायुसेना के जवान ही देवदूत बनकर लोगों को मुश्किल हालात से बचा पाए।