Initiative to dispose of ritual residues: यह एक तथ्य है कि हम कई ऐसी चीजें इस्तेमाल करते हैं जिसमें प्लास्टिक मौजूद होता है और यह एक कारण है कि हमारी धरती प्रदूषण से ग्रस्त है। भारत कई विश्वासों का देश है और हम सभी के पास भगवान से प्रार्थना करने के तरीके और भगवान को खुश करने के तरीके मौजूद होते हैं। लेकिन इन सब के बीच, हम भगवान के सबसे कीमती उपहार की रक्षा करना भूल जाते हैं, वह है हमारी पृथ्वी।
धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न सामानों की पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक की मात्रा काफी अधिक है क्योंकि इसमें हर एक सामग्री भरी हुई होती है और प्लास्टिक प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है। जबकि हम अपने ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमें सुरक्षित रखने के लिए हमारी मदद करें। लेकिन प्लास्टिक का इस्तेमाल करके हम खुद को खतरे में डाल रहे हैं। यहां तक कि अगर हम आध्यात्मिक स्थानों में भी प्लास्टिक का उपयोग करते हैं।
डिस्पोजवेल, पर्यावरण से संबंधित एक संगठन ने धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पैदा होने वाले कचरे को ठीक से निपटाने की पहल शुरू की। संगठन घरेलू प्रार्थनाओं के अवशेष एकत्र करता है और फिर प्लास्टिक कचरे और ऑर्गेनिक कचरे को अलग करके अवशेषों को संसाधित करता है। हम सभी इस तथ्य से अवगत हैं कि, धार्मिक स्थलों पर, भक्तों के पास अवशिष्ट सामग्री को डंप करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। लेकिन कचरे को हमेशा कचरे के डब्बे में ही फेंकना चाहिए। यह लोगों के विश्वास को चोट पहुंचा सकता है, लेकिन इसका कोई विकल्प नहीं है।
डिस्पोजवेल की सह-संस्थापक चेतना कत्याल सुंदरम ने इस चीज के लिए रिसर्च एकदम ग्राउंड लेवल से की थी। वह भगवान की चीजों को उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा से जोड़ा। डिस्पोजवेल बिगड़ते पर्यावरण के लिए हमारी चिंता को दूर करने के लिए बनाया गया था। अक्सर लोग मंदिरों में या पेड़ों के नीचे अपने पूजा अवशेषों को छोड़ देते हैं। यह हमें अचंभित करता है कि लोग इतनी भक्ति के साथ घर पर पूजा करते हैं, लेकिन बाहर वह ऐसी लापरवाह कैसे कर सकते हैं?
हमने अपने इलाके के कुछ पेड़ों को साफ करके और लगभग 500 मंदिरों में शोध करके बताया कि वे इस अवशेष का क्या करते हैं। हम यह जानकर हैरान रह गए कि यह मंदिरों के लिए भी एक बड़ा दर्द था और मंदिर चलाने वाले अधिकारियों के पास कचरा लेने वालों को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इस तरह से पवित्र पूजा अवशेषों को कचरे में डाला जा रहा है।
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