आजकल के बिजी लाइफस्टाइल के कारण लोग उम्र से पहले ही मेंटल हेल्थ डिप्रेशन और बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। हर दूसरा व्यक्ति स्ट्रेस और एंग्जायटी का शिकायत करता है। ऐसे में जरूरी है कि आप मेडिटेशन करें जिससे आपका दिमाग रिलैक्स हो जाए। दरअसल, मेडिटेशन की शुरुआत करने में भले ही आपको दिक्कत हो लेकिन, लेकिन इससे आपको फायदा बहुत होता है। इससे दिमाग एकदम रिलैक्स हो जाता है और आप टेंशन फ्री रहते हैं। तो आज हम मेडिटेशन के एक नए तरीके के बारे में जानेंगे और वो हैं ओशो मेडिटेशन (Osho dynamic meditation)। क्या है ये और आप इसे कैसे फॉलो कर सकते हैं, सब जानेंगे ओशो के करीबी स्वामी अरुण आनंद (Swami Anand Arun) से।
मेडिटेशन करना क्यों जरूरी है-Why it’s important to do meditation
स्वामी अरुण आनंद (Swami Anand Arun) बताते हैं कि मेडिटेशन एक ऐसी प्रैक्टिस है, जिससे दिमाग एकदम रिलैक्स रहता है। इसे करने से आप ज्यादा खुश रहते हैं, कुछ ही देर में स्ट्रेस फ्री रहते हैं, चीजो पर अच्छी तरह से ध्यान लगा पाते हैं और सबसे जरूरी इससे नींद भी अच्छी आती है।
ओशो डायनामिक मेडिटेशन क्या है-What is Osho dynamic meditation
स्वामी अरुण आनंद (Swami Anand Arun) बताते हैं कि ओशो के बहुत से ध्यान है जिसे आप बैठकर कर सकते है। आप बैठ कर चक्र साउंड, विपासना,नादब्रह्म कर सकते हैं। ओशो के 3000 ध्यान है। कुंडलिनी ध्यान और डायनेमिक मेडिटेशन, इनमें से एक है जिसे करने के लिए शरीर के संचार की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है आप आराम से बैठ के कर सकते हैं। स्वामी का कहना है जबतक शरीर साथ दे एक्टिव ध्यान करना चाहिए जब लगे की अब शरीर साथ नहीं दे रहा है तो पैसिव ध्यान करना चाहिए।
डायनेमिक मेडिटेशन (dynamic meditation) ओशो का सबसे लोकप्रिय सक्रिय ध्यान है और इसे सूर्योदय के समय सबसे अच्छा किया जाता है। इसे समूह में या अकेले किया जा सकता है। ओशो डायनामिक मेडिटेशन 5 चरणों की 60 मिनट की गतिविधि होती है जिसमें पहले 10 मिनट के लिए तेज और गहरी सांस लेना है। इसके बाद 10 मिनट की छलांग और एक मंत्र “हू” चिल्लाना है। 15 मिनट का मौन रखना है और अंत में 15 मिनट का डांस करना है।
क्या है नादब्रह्म ध्यान और कैसे करें-How to do Osho Nadabrahma meditation
नादब्रह्म एक प्राचीन तिब्बती बौद्ध ध्यान की तकनीक पर आधारित है जो मूल रूप से सुबह के शुरुआती घंटों में किया जाता था। इसकी शुरुआत गुनगुनाहट से होती है जो पूरे शरीर में एक हल्का कंपन पैदा करती है, इसके बाद शांति और मौन में जाने से पहले हल्के हाथों से हिलाया जाता है।
शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से रहेंगे स्वस्थ
स्वामी आनंद अरुण ने बताया कि वो जब छोटे थे तो बहुत बीमार पड़ते थे। हफ्ते में कभी टोंसिल हो जाता था तो कभी बुखार आ जाता था। तब से उन्होंने ओशो का ध्यान करना शुरू किया। योग शुरू किया। 50 साल पहले जैसा उनका स्वस्थ था। वह 81 साल के होने जा रहे है, लेकिन वो अब खुद को 50 साल पहले से भी ज्यादा स्वस्थ महसूस करते हैं। उनकी शारीरिक समस्या ध्यान से कम हो गई है। उनका कहना है की आपकी भी समस्या और सबकी समस्या ध्यान और योग से कम होगी। आप नेपाल में ओशो तपोबन आश्रम में कभी भी ध्यान सीखने जा सकते हैं।
