इस साल रंगों का त्योहार होली 13 और 14 मार्च को आ रहा है। इस दिन सारी दुनिया होली के रंग में सराबोर नजर आएगी। वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार एक दूसरे पर रंग लगाने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। इसे होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इसे प्रदोष काल जिसकी शुरुआत सूरज के डूबने के बाद होती है। आज के समय में होलिका दहन ग्रुप में किया जाता है वहीं कुछ सालों पहले तक इसे लोग अपने घरों में अकेले किया करते थे। होलिका दहन वही दिन होता है जिस दिन होलिका नामक राक्षसी जलकर राख हो गई थी। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को भी अपनी तीसरी आंख खोलकर भस्म किया था। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने भी राक्षसी पूतना का अंत किया था। इसी वजह से इस दिन घर में भगवान शिव और कृष्ण की पूजा होती है। इसी मौके पर हम आपको इसकी व्रत विधि बताते हैं। सबसे पहले पूजा के लिए आपको इस सामग्री की जरूरत है।

घी से भरा हुआ मिट्टी का एक दिया
एक धूप या फिर अगरबत्ती
कुछ फूल
चंदन, अष्टगंधा या रोली
सूखा नारियल और मिठाई
अक्षत (कच्चा चावल)
एक गिलास पानी
मूंग दाल
सूखी हल्दी के टुकड़े
सूत की कूकड़ी- 2
गाय के गोबर से बनी माला- 5
हरा चना, जौ आदि अनाज

पूजा विधि

होली फागुन शुक्ल पूर्णिमा पर सेलिब्रेट की जाती है। इसलिए इस सामग्री को इकट्ठा करें और शाम को इस तरीके से पूजा करें।
सबसे पहले दीए और धूप को जलाएं।
इसके बाद भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। हाथों में अक्षत, पानी को लेकर श्री गणेश का ध्यान करें। उनसे अपनी पूजा पूरी करने की प्रार्थना करें।
अब देवी दुर्गा के साथ भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें धूप और दीप दिखाएं। इसके बाद तिलक, मिठाई और पानी दें।
इसके बाद ॐ प्रह्लादाय नमः मंत्र का जाप करें। उन्हें धूप और दीप दिखाएं।
इसके बाद होलिका की पूजा करें। उसमें अक्षत, फूल, मिठाई, नारियल, हल्दी के टुकड़े, मूंग की दाल और गाय के गोबर से बनी माला अर्पित करें।
इसके बाद सूत के एक धागे को होलिका के चारों तरफ बांध दें। एक धागे को घर ले जाने के लिए अपने पास रखें।
अब होलिका में पानी डालें। फिर उसमें आग लगा दें।
रोस्ट दाल को प्रसाद के तौर पर अपने घर ले जाएं।