Happy Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2019 Wishes Images, Quotes, SMS, Messages, Status: आज भारत की आजादी में अहम योगदान देने वाले ‘नेताजी’ सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। उनका जन्म 23 जनवरी को 1897 में ओडिशा (उड़ीसा) के कटक में हुआ था। अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष 1920 में आईसीएस की परीक्षा दी और चौथा स्थान लाए। उनके जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा काफी प्रसिद्ध है। जब सुभाष चंद्र बोस इंटरव्यू देने इंग्लैंड गए तो वहां सभी अंग्रेज अधिकारी थे, जो किसी भारतीय को उच्च पद पर आसीन होते नहीं देखना चाहते थे। सभी भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए कठिन सवाल पूछे जा रहे थे।
बोस की बारी आयी तो एक अंग्रेज ने चलते पंखे को देख सवाल किया, “इस पंखे में कितनी पंखुडि़यां है। अगर तुम सही जवाब नहीं दे पाए तो फेल हो जाओगे।” तभी एक और अंग्रेज ने भारतीय को नीचा दिखाने के मकसद से कहा, “भारतीयों में बुद्धि कहां होती है?” इसके जवाब में बोस ने कहा, “यदि मैंने सही जवाब दे दिया तो आप मुझसे दुबारा कोई सवाल नहीं पूछेंगे और मेरे सामने यह भी स्वीकार करेंगे कि भारतीय बुद्धिमान होते हैं।” अंग्रेजों ने उनकी बात मान ली और उत्तर देने को कहा। सुभाष चंद्र बोस अपने जगह से उठे और तुरंत पंखा बंद कर दिया। पंखा रूकते ही उसकी पंखुडि़यां गिनकर बता दी। उनकी इस सुझबूझ और निर्भिकता को देख अंग्रेजों की आंखे नीची हो गई।
आज नेताजी बोस की जयंती पर उनके कुछ विचार अपने दोस्तों को भेज बधाई दे सकते हैं। अपने दोस्तों व परिजनों को उनके बताए रास्ते पर चलने को प्रेरित कर सकते हैं।
सुभाष चंद्र बोस का कहना था, “सफलता हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है।” इसलिए किसी को भी असफलता से घबराना नहीं चाहिए।
बोस कहते थे, “हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल खून से चुकाएं। ”
बोस ने कहा था, “यदि कभी झुकने की नौबत आ जाए तो वीरों की तरह झुकें।”
बोस कहते थे, “उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं। हमें हमेशा उच्च विचार पैदा करते रहना चाहिए।”
सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी के लिए आमलोगों के बीच एक संदेश दिया था। उस स्पीच में उन्होंने कहा था, "बहनों एवं भाईयों। हमने जो आजादी की लड़ाई छेड़ रखी है, उसे तब तक जारी रखना होगा, जब तक हमें मुकम्मल आजादी हासिल न हो।
सुभाष चंद्र बोस ने युद्ध के पहले अपने भाषण में गांधी से आशीर्वाद मांगते हुए शुरुआत की थी। सिंगापुर से रेडियो पर उद्बोधन देते हुए गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने ही कहा था।
वर्ष 1941 में सुभाष चंद्र बोस जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से मुलाकात की। नेताजी ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ रहे भारतीय क्रांतिकारियों की मदद के लिए हिटलर से मदद मांगी थी।
1920 में आईसीएस (अब आईएएस) की परीक्षा देकर चौथा स्थान पाने वाले सुभाष चंद्र बोस ने करीब एक साल बाद ही 22 अप्रैल 1921 को इस पद से इस्तीफा दे दिया और देश को फिरंगियों से आजाद कराने में जुट गए।
जब भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई तो सुभाष चंद्र बोस ने उनकी रिहाई के लिए महात्मा गांधी से बात की। लेकिन गांधी जी ने उनकी बात को अनदेखा कर दिया। इस वजह से वे गांधी जी और कांग्रेस के काम करने के तरीके से नाराज हो गए थे।
सुबाष चंद्र बोस ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए 1920 में आईसीएस (अबआईएएस) की परीक्षा दी और चौथा स्थान पाया।
गौरतलब है कि आजाद हिंद फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 75 साल पहले तिरंगा फहराया था। इसी की 75वीं वर्षगांठ होने के मौके पर कुछ समय पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी अंडमान के दौरे पर गए थे। तब उन्होंने तीन द्वीपों का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखने का ऐलान किया था। अंडमान के हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा।
म्यूजियम देखने आने वालों को बेहतरीन अनुभव प्राप्त हो इसके लिए इसे खास तौर से डिजाइन किया गया है। बताया जा रहा है कि यहां पेंटिंग, फोटो, पुराने रिकॉर्ड, अखबार की कटिंग, ऑडियो-विडियो क्लिप, मल्टीमीडिया और एनिमेशन की भी सुविधा है।
सिंगापुर से रेडियो पर उद्बोधन देते हुए महात्मा गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने ही कहा था।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नेताजी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए ट्विट किया कि, 'नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी एक ऐसे महानायक थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी ने देश की युवा शक्ति को संगठित किया और आजाद हिंद फौज का नेतृत्व कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन किया। ऐसे महान सेनानी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।'
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122वीं जयंती है। हर कोई आज अपने-अपने तरीके से उन्हें याद कर रहा है। इसी बीच ओडिशा में कुछ छात्रों ने रेत पर नेताजी की तस्वीर बनाई है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122वीं जयंती पर ओडिशा में रेत से उनकी तस्वीर को अद्भुत तरीके से उकेरा गया।
मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूंगा नहीं, आगे बढकर कष्टों को सहन करूंगा।
सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ीं चीजों को प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र बोस भी मौजूद रहे।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में लालकिले पर सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया।
सुभाष चंद्र बोस ने युद्ध के पहले अपने भाषण में गांधी से आशीर्वाद मांगते हुए शुरूआत की थी। सिंगापुर से रेडियो पर उद्बोधन देते हुए गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने ही कहा था।
सुभाष चंद्र बोस कहते थे, "आशा की कोई न कोई किरण होती है, जो हमें जीवन से कभी भटकने नहीं देती।"
अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
उच्च विचारों से दुर्बलता दूर होती है, इसीलिए हमें अपने हृदय में उच्च विचार पैदा करते रहना चाहिए।
अगर आपको जीवन में कभी भी अस्थाई रूप से झुकना पड़े, तब भी वीरों की तरह झुकना।
हमें अधीर नहीं होना चहिए, न ही यह आशा करनी चाहिए कि जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।
सुभाष चंद्र बोस कहते थे 'समय से पहले की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो या किसी व्यक्ति की, उसकी हानि भविष्य में भुगतनी ही होती है।'
- जो लोग फूलों को देखकर मचलते हैं, उन्हें कांटे भी जल्दी लगते हैं।
- हमें अपनी ताकत पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि उधार की ताकत हमारे लिए घातक होती है।
बोस का कहना था कि जो सिपाही देश के प्रति वफादार रहता है, जो अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहा है। वह अजेय है।
सुभाष चंद्र बोस कहते थे कि मैंने जीवन में कभी भी किसी खुशामद नहीं की है। दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन करेंगे। पीएम नेताजी की में बने संग्रहालय का उद्घाटन करेंगे और इसके बाद यहां पर मौजूद तमाम वस्तुओं का अवलोकन भी करेंगे।
हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो, हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है।
मैं यह नहीं जानता की इस आजादी के युद्ध में हममे से कौन-कौन बचेगा लेकिन मैं इतना जानता हूँ की आखिर में विजय हमारी ही होनी है।
'नेताजी' सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। उनका जन्म 23 जनवरी को 1897 में ओडिशा (उड़ीसा) के कटक में हुआ था।
अमर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। भारतीय स्वतंत्रता में उनके योगदान और उनके बलिदान को इस कविता के कुछ पंक्तियों से समझा जा सकता है