Mahavir Jayanti 2019: महावीर जी का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को हुआ था। यही कारण है कि जैन धर्म के लोग इसी दिन महावीर जयंता सेलिब्रेट करते हैं। इस बार महावीर जयंती 17 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस पर्व को मनाने के लिए जैन मंदिरों को बेहद खूबसूरत तरीकों से सजाया जाता है। मंदिरों में शोभायात्रा भी निकाली जाती है। महावीर जी के बचपन का नाम वर्धमान था।
महावीर जी का जन्म बिहार के वैशाली स्थित के गांव कुंडग्राम में एक राजपरिवार में हुआ था। उनके परिवार में पैसे और धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं था जिसका इस्तेमाल भगवान महावीर खुलकर कर सकते थे लेकिन युवावस्था में कदम रखते ही उन्होंने संसार की मोह-माय छोड़कर और राज्य को छोड़कर सन्यासी बन गए थे। भगवान महावीर ने हमेशा लोगों को अहिंसा और अपरिग्रह का संदेश देते थें। उनका ऐसा भी मानना था कि यदि आपकी जरूरत किसी इंसान को है और आप कर सकते हैं फिर भी नहीं कर रहे हैं तो यह अहिंसा है।
बचपन में महावीर जी का नाम वर्धमान था और इसके पीछे कारण यह था कि महावीर जी बहुत कम उम्र में सुखी जीवन त्याग कर साधना की तरफ कदम रख चुके थे। उन्होंने अपनी इच्छाओं पर काबू करने के लिए लगभग साढ़े बारह वर्षो की साधना की थी। इसी वजह से उनका नाम महावीर रख दिया गया था।
उन्होंने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की। इसलिए वे तीर्थंकर कहलाए। यहां तीर्थ का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिंसा, सत्य आदि की साधना द्वारा अपनी आत्मा को ही तीर्थ बनाने से है। महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बिठाकर जुलूस निकाला जाता है, जिसमें जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

