Subho Mahalaya, Happy Mahalaya 2018 Wishes Images, Quotes, Pics GIF, Picture, Photo, Messages, SMS, Wallpaper, Greetings: महालया दुर्गापूजा की शुरुआत और पितृपक्ष के अंत का पर्व है। इस दिन लोग अपने पितरों को विदाई देते हैं। मां दुर्गा को धरती पर आने के लिए निवेदन प्रार्थना भी इसी दिन की जाती है। महालया पर्व दुर्गा पूजा से सात दिन पहले आता है। हालांकि, यह एक बंगाली त्योहार है लेकिन इसे पूरे देश में मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां दुर्गा कैलाश से धरती पर आने की अपनी यात्रा प्रारंभ करती हैं। ऐसे में उनके लिए भजन, पाठ, प्रार्थनाएं इत्यादि की जाती हैं। भक्त मां दुर्गा की प्रार्थना करते हैं कि वह धरती पर आकर असुरों से हमारी रक्षा करें।

यह पितृपक्ष का आखिरी दिन भी होता है। ऐसे में इस दिन पितरों को विदा करने का कार्यक्रम भी होता है। पितृपक्ष का आखिरी दिन होने के नाते अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है। इस दिन पुरुष सफेद धोती पहनकर गंगा में उतरते हैं और अपने पितरों का तर्पण कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

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15:25 (IST)08 Oct 2018
ये है शुभ मुहूर्त

इस साल महालया या सर्वपितृ अमावस्या सोमवार यानी 8 अक्टूबर को है। श्राद्ध करने के विविध मुहूर्त इस प्रकार हैं-

कुतुप मुहूर्त - 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त - 12:31 से 13:17 तक
अपराह्न काल - 13:17 से 15:36 तक।

13:20 (IST)08 Oct 2018
पितृपक्ष का आखिरी दिन

मालूम हो कि महालया को देश के अधिकांश हिस्से में पितृपक्ष के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध कर उन्हें दोबारा विदाई दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर पितरों को ठीक से विदाई न दी जाए तो वे नाराज हो जाते हैं और श्राप दे देते हैं।

11:57 (IST)08 Oct 2018
महालया अमावस्या पर माता दुर्गा का जन्म

महालया अमावस्या नवरात्रि से ठीक पहले आती है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि महालया अमावस्या पर ही माता दुर्गा का जन्म हुआ था। और दुर्गा जी ने आगे चलकर इस धरती को पापियों से मुक्ति दिलाई थी। दुर्गा जी के भक्त बड़ी ही धूमधाम से महालया अमावस्या सेलिब्रेट करते हैं।

09:56 (IST)08 Oct 2018
पितरों को खुशी-खुशी करते हैं विदा

महालया को देश के अधिकांश हिस्से में पितृपक्ष के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध कर उन्हें दोबारा विदाई दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर पितरों को ठीक से विदाई न दी जाए तो वे नाराज हो जाते हैं और श्राप दे देते हैं। लेकिन, अगर पितर खुशी-खुशी विदा होते हैं तो वह अपने साथ परिवार की सारी परेशानियां लेकर चले जाते हैं।

08:44 (IST)08 Oct 2018
कैसे मनाया जाता है महालया

महालया के दिन मुख्यतः सभी लोग अपने पितरों को याद करते हैं। उन्हें भोजन अर्पित करते हैं और उनकी पुनः विदाई करते हैं। इस दिन लोग सुबह स्नान करके मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा करते हैं। खाना और कपड़े दान करते हैं। पितरों के लिए चांदी या तांबे के बर्तन में पकाए जाते हैं। इसके बाद केले के पत्तों और सूखी पत्तियों से बने कटोरे में यह भोजन खिलाया जाता है। इस भोजन में खीर, पूड़ी, चावल, दाल और सीताफल शामिल होता है। महालया के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा उन्हें श्रद्धास्वरूप दक्षिणा प्रदान किया जाता है। इसके बाद भोजन कर पितरों को विदाई दी जाती है।

08:07 (IST)08 Oct 2018
ऐसे करें पितरों को विदा

गरुण पुराण के मुताबिक पितर चाहते हैं कि महालया के दिन परिवार के लोग उनका श्राद्ध कर उन्हें दोबारा विदा करें। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों में पितर धरती पर उतरते हैं और अमावस्या के दिन उनकी विदाई की जाती है। पितरों की विदाई के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करके शुद्ध मन से सात्विक भोजन बनाएं। लहसुन प्याज के बिना बने इस भोजन में खीर और पूड़ी जरूर शामिल हो। गाय के लिए, कुत्ते के लिए, चींटी के लिए, कौआ के लिए और देवताओं के लिए भोजन पहले ही निकाल दें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।