Govardhan Puja 2018: 8 नवंबर को इस साल गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाएगा। दीपावली के ठीक अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। वर्षों से भारत के घरों में गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है। गोवर्धन पूजा के दिन बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली जैसे उत्सव पूरे किए जाते हैं। इस पूजा की शुरुआत स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी। मान्यता है कि द्वापर युग में समस्त ब्रजवासी दीपावली के त्योहार के अगले दिन भगवान इंद्र की पूजा किया करते थे। लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं मिलता है। बारिश करना उनका काम है और वह केवल अपना काम करते हैं, जबकि गोवर्धन पर्वत गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है इसलिए गोवर्धन की भी पूजा करें। प्रकृति का संरक्षण करें।
इस बात से भगवान इंद्र बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश करना शुरु कर दिया। इंद्र के गुस्से से सभी ब्रजवासी भयभीत हो गए। इंद्र को सबक सिखाने और ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया। इंद्र जब पानी बरसा के थक गए तो उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान से माफी मांगी। उसी दिन से गोवर्धन पूजा करने की शुरुआत हो गई। इसे लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गायों की पूजा की जाती है। हमारे शास्त्रों में गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है। जिस तरह देवी लक्ष्मी सुख समृद्धि प्रदान करती हैं ठीक उसी तरह गौ माता भी अपने दूध से हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं।
1.गोवर्धन के सूख जाने पर इस पर मुकुट लगाएं और आंखों को खूबसूरत रंगों से सजाएं। फूल-पत्तियों से भी गोवर्धन का श्रृंगार कर सकते हैं।
2. सुंदर मोरपंख से बना मुकुट लगाकर आप गोवर्धन को सजा सकते हैं।
3.रिबिन और मोरपंख दोनों के मिलाकर सुंदर मुकुट बना सकते हैं और रंगों से हंसते-मुस्कुराते गोवर्धन को बना सकते हैं।
4. गोवर्धन को सजाने में जल्दबाजी ना करें। गोवर्धन को सूखने के बाद आराम से खूबसूरत रंगों से सजाएं।
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5. गोवर्धन को घर के आंगन में बनाएं और सूखने के बाद सबसे पहले रंगों और फूलों से आंख और नाक बनाएं और एकदम अंत में मुकुट लगाएं।
माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने इंद्र का घमंड इसलिए तोड़ा था ताकि ब्रजवासी गौ-धन और पर्यावरण के महत्व को समझें और उनकी रक्षा करें। इसलिए इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। इस दिनआंगन को साफ किया जाता है और गोवर्धन बनाने की तैयारी की जाती है। इसके बाद इसकी पूजा होती है